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Friday, April 19, 2024

ऐसे शुरु हुआ गणेशोत्सव, Ganesh Chaturthi Festival History

Ganesh Chaturthi Festival History हम सभी के गाँव, घरों, शहरों, मोहल्लों में गणेश

जी विराजमान हैं। पूरा माहौल गणपति जी की आराधना में डूबा हुआ है।

पर दोस्तों क्या आप जानते हैं? कि गणेशोत्सव की शुरुवात कैसे हुई थी?

इस उत्सव का आरंभ कैसे हुआ?

 ऐसे शुरु हुआ गणेशोत्सव, Ganesh Chaturthi Festival History

गणेशोत्सव की शुरुआत 1893 में महाराष्ट्र राज्य मे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की।

हालांकि 1893 के पहले भी गणेशोत्सव बनाया जाता था, पर उस व्यक्त यह घरों तक ही सीमित था।

उस व्यक्त आज की तरह पंडाल नहीं बनाए जाते थे, और ना ही सामूहिक पद्धति से गणपति विराजते थे।

ऐसे शुरु हुआ गणेशोत्सव, Ganesh Chaturthi Festival History

बाल गंगाधर तिलक Lokmanya Bal Gangadhar Tilak

लोकमान्य तिलक उस व्यक्त एक युवा क्रांतिकारी थे, गर्म दल के नेता के रूप में जाने जाते थे।

लोकमान्य एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता थे साथ ही प्रभावी ढंग से भाषण देने में माहिर भी थे।

ब्रिटिश अफसर ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि अगर किसी मंच से तिलक भाषण देंगे

तो वहां आग भड़काना तय है।

हमारे लोकमान्य तिलक हमारे ‘स्वराज’ के लिए संघर्ष कर रहे थे।

वो अपनी बातों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते थे।

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इस काम के लिए उन्हें ऐसा सार्वजानिक मंच चाहिए था, जिसके

जरिए वे उनके विचार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके।

और इस काम को अंजाम देने के लिए इस उन्होंने गणेशोत्सव को चुना।

और इस तरह से सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुवात हुई।

इसे सुंदर भव्य रूप दे दिया, जिसे आज हम सभी देखते हैं। Ganesh Chaturthi Festival History

गणेशोत्सव भारतीय पंचांग के किस महीने में मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी के दिन से गणेशोत्सव की शुरुवात होती है।

और बादमे 11वें दिन यानी की अनंत चतुर्दशी पर गणेशप्रतिमाओं के

विसर्जन के साथ ही इसका समापन होता है।

भाद्रमास के शुक्‍लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

गणेशोत्सव परंपरा Ganesh Chaturthi Festival History

शिवपुराण में इसका उल्‍लेख मिलता है, कि इस त्‍योहार को मनाने की परंपरा

सदियों से चली आ रही है। भारत के पश्चिम और दक्षिण राज्‍यों में यह त्‍योहार

बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

भारत में जब पेशवाओं का शासन था, तब से गणेशउत्‍सव मनाया जा रहा है।

सवाई माधवराव पेशवा के शासन में पूना का प्रसिद्ध  राजमहल ‘शनिवारवाड़ा’

में भव्य गणेशोत्सव मनाया जाता था। जब अंग्रेज भारत आए, तो उन्होंने पेशवाओं

के राज्यों पर कब्जा कर लिया। तभी से वहां इस त्‍योहार की रंगत फीकी पड़ना शुरू

हो गई। पर कोई भी इस परंपरा को बंद नहीं कर सका।

Aditi
Aditihttp://apnibat.com/
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