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ऐसा मंदिर, जहां भगवान विष्णु सालों से प्राकृतिक पाणी पर निद्रा में लीन हैं

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ऐसा एक मंदिर, जहां भगवान विष्णु सालों से प्राकृतिक पाणी पर निद्रा में लीन हैं

ऐसा मंदिर, जहां भगवान विष्णु सालों से प्राकृतिक पाणी पर निद्रा में लीन हैं

5 मीटर लंबी भगवान व‍िष्‍णु जी की मूर्ति, 13 मीटर

लंबे तालाब में मौजूद है।

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का त्रिदेवों सहित पंच देवों

 में भी एक प्रमुख स्थान है। ऐसी स्थिति में देश विदेश

में कई स्थानों पर भगवान विष्णु जी के मंदिर देखने को

 मिल जाते हैं। साप्ताहिक दिनों में भी बृहस्पतिवार

मतलब गुरुवार को भगवान विष्णु जी का दिन माना जाता है।

दोस्तों यह हम आपको भगवान विष्णु जी के एक अद्भुत मंदिर

के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। जो ना सिर्फ अद्भुत है,

बल्कि यहां भगवान विष्णु जी की एक मूर्ति कई वर्षों से एक

प्राकृतिक तालाब में निद्रा की मुद्रा में स्थित है।

हम ज‍िस मंदिर के बारे मे बात कर रहे हैं, वह नेपाल के

 काठमांडू से 8 किमी दूर शिवपुरी पहाड़ी की तलहटी में है।

यह भगवान व‍िष्‍णु जी का मंदिर है। इस मंद‍िर का नाम

‘बुदानिकंथा’ है। Budhanilkantha Temple Mystery And Interesting Facts

भगवान विष्णु मंदिर की आख्यायिका

मंदिर को लेकर कथा है, क‍ि यह मंदिर राज-पर‍िवार के

लोगों के शापित है। शाप के डर की वजह से राज-परिवार

के लोग इस मंदिर में बिल्कुल भी नहीं जाते।

बताया जाता है, कि यहांपर राज-परिवार को शाप म‍िला था।

 इसके मुताब‍िक अगर राज-पर‍िवार का कोई भी व्यक्ति

मंद‍िर में स्‍थाप‍ित मूर्ति के दर्शन करेगा, तो उसकी मौत

हो जाएगी। इसी शाप के चलते राज परिवार के लोग इस

मंद‍िर में स्‍थाप‍ित मूर्ति की पूजा भी नहीं करते और

ना ही दर्शन करने जाते है। Budhanilkantha Temple Mystery And Interesting Facts

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इस मंदिर के बारे में और जानकारी

पर मंदिर में स्‍थाप‍ित भगवान व‍िष्‍णु जी की मूर्ति का ही

एक प्रत‍िरूप तैयार क‍िया गया, ताकि राज-पर‍िवार के

लोग इस मूर्ति की पूजा कर सकें।

‘बुदानिकंथा’ में भगवान विष्णु एक प्राकृतिक पानी

के ऊपर 11 नागों की सर्पिलाकार कुंडली में विराजमान

हैं। सुनने को मिलता है, क‍ि एक किसान द्वारा काम

करते व्यक्त यह मूर्ति प्राप्त हुई थी। मूर्ति की लंबाई 5

मीटर है। जिस तालाब में मूर्ति स्‍थाप‍ित है उस तालाब की

लंबाई 13 मीटर है। इस मूर्ति में भगवान व‍िष्‍णु जी के

पैर एक दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं। नागों के 11 स‍िर भगवान

विष्णु जी के छत्र बने हुए हैं।

पौराण‍िक कथा

एक पौराण‍िक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के वक्त व‍िष न‍िकला

था, तो सृष्टि को व‍िनाश से बचाने के ल‍िए भगवान श‍िवजी ने

विष को अपने कंठ में ले ल‍िया था। जिसकी वजह से उनका

गला नीला पड़ गया था।

इसी जहर से जब भगवान श‍िवजी के गले में जलन बढ़ने लगी

 तब उन्‍होंने उत्तर की और सीमा में प्रवेश क‍िया। उसी द‍िशा

में झील बनाने के हेतु त्रिशूल से एक पहाड़ पर वार

 क‍िया इससे यह झील बनी।

मान्‍यता यह भी है क‍ि इसी झील के पानी से उन्‍होंने

अपनी प्‍यास बुझाई।

कलियुग में नेपाल की झील को ‘गोसाईकुंड’ नाम से जाना

 जाता है। कहा जाता है क‍ि ‘बुदानीकंथा’ मंदिर का पानी इसी

‘गोसाईकुंड’ झील से उत्‍पन्‍न हुआ था। मान्‍यता के अनुसार

मंदिर में अगस्‍त महीने में वार्षिक श‍िव उत्‍सव के दौरान

इस झील के नीचे भगवान श‍िवजी की भी छव‍ि देखने को म‍िलती है।

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