mahamrityunjay jaap mantra info hindi भगवान शिव Lord Shiva को प्रसन्न करने के
लिए कई मंत्रों और स्तुतियों की रचना की गई है। पर इन सभी में महामृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र में मरते हुए व्यक्ति को भी जीवनदान देने की शक्ति है।
mahamrityunjay jaap mantra info hindi महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से क्या होता है?
यदि सावन महीने में रोज इस मंत्र का विधि विधान से जाप कर जाए, तो किसी भी परेशानी का समाधान
हो सकता है। इस मंत्र से ग्रहों के अशुभ फल भी कम होते हैं।
- ये भी पढे :
- कार एक्सीडेंट ने बर्बाद कर डाला check vehicle insurance status
- क्लासमेट ने प्रपोज किया है|उसकी गर्लफ्रेंड बनना चाहती हु क्या करू?
- घर मे लगाए वास्तु अनुसार तस्वीरें , दूर होंगी परेशनीया, खिल जाएगा भाग्य
महामृत्युंजय मंत्र की रचना कैसे हुई?
इस मंत्र के रचना के बारे संबंधित कथा हमारे धर्म ग्रंथों में हमे मिलती है। मार्कण्डेय ऋषि ने इस
मंत्र की रचना की थी। मुकण्ड नाम के एक ऋषि पौराणिक काल में हुआ करते थे, जो भगवान
शंकर के परम भक्त थे। भगवान शिवजी के वरदान से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ, तो उन्होंने उसका
नाम मार्कण्डेय रख दिया। पर जब ऋषि को ये इस बात का पता चला कि उनका पुत्र तो अल्पायु है,
तो उन्हें बड़ा ही दुख हुआ। मार्कण्डेय ऋषि को बड़ा होने पर इस बात का पता चला।
फिर उन्होंने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करनी शुरू कर दी और महामृत्युंजय मंत्र की रचना
की। और जब उनकी मृत्यु का दिन आया तब उन्होंने शिवमंदिर में बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप
करना शुरु किया। जब यमराज मार्कण्डेय ऋषि के प्राण हरने आए, तो वे शिवलिंग से लिपट गए।
यमराज ने मार्कण्डेय ऋषि के प्राण हरने के लिए जैसे ही अपना पाश फेंका, वहांपर स्वयं भगवान
शंकर प्रकट हुए और शिवजी ने मार्कण्डेय ऋषि की को उनकी
भक्ति देखकर अमरता का वरदान दिया। mahamrityunjay jaap mantra info hindi
महामृत्युंजय मंत्र कौन सा है?
‘ ऊं हौं जूं सः ऊं भूर्भुवः स्वः ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊं स्वः भुवः भूः ऊं सः जूं हौं ऊं ’
महामृत्युंजय मंत्र जप कब और कैसे करना चाहिए?
शिवजी की मूर्ति या फिर चित्र के सामने बैठकर या महामृत्युंजय यंत्र के सामने ही बैठकर इस मंत्र का
जाप करना चाहिए। mahamrityunjay jaap mantra info hindi
महामृत्युंजय मंत्र का जाप उच्चारण ठीक तरीके से करना चाहिए। अगर आप स्वयं मंत्र न बोल
पाएं तो किसी योग्य पंडित से भी जाप करवाया जा सकता है।
जाप एक निश्चित संख्या में करना चाहिए। कक्त के साथ जाप की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है।
जाप के दौरान पूरे समय धूप-दीप जलने चाहिए।
रुद्राक्ष माला पहनकर ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
बिना किसी आसन पर बैठकर इस मंत्र जाप ना करें।