भगवान को फूल चढ़ाने का नियम bhagwan ko phul chadane ke niyam
देवी देवताओं की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण है भाव। कोई भी भगवान अपने
भक्त से कई तरह के प्रसाद या दान दक्षिणा नहीं चाहते, बल्कि वो तो अपने भक्तों से प्रेम भाव चाहते हैं।
पूजा करते वक्त देवताओं को फूल चढ़ाने के कई महत्व होते हैं। शास्त्रों में देवताओं को फूल चढ़ाने के
नियमों के बारे में हमें बताया है।
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देवी देवताओं को फूल कैसे चढ़ाया जाता है?
देवताओं को फूल अति प्रिय होता है। जो कोई भक्त देवताओं को सच्चे भाव से फूल अर्पण करता है,
भगवान उसकी सभी मनोकामनाये पूरी करते हैं। भगवान को फूल कैसे चढ़ाना चाहिए इसके बारे में
हमारे शास्त्र में एक श्लोक हैं:
“पत्रं वा यदि वा पुष्पं फलं नेष्ठ अधोमुखं यथा उत्पनं तथा देयं बिल्व पत्र अधोमुखं”
इसका मतलब है कि पुष्प जिस प्रकार से खिलता है, उसी प्रकार से हमें भगवान के ऊपर अर्पण करना चाहिए।
बहुत सारे लोग भगवान के ऊपर फूल उल्टा अर्पित कर देते हैं, ऐसा करना शास्त्रों में वर्जित है।
फूल खिलते समय मुख ऊपर की ओर होता है, अतः हमे चढ़ाते समय भी इनका मुख ऊपर की ओर रखना चाहिए।
भगवान को फूल चढ़ाने का नियम
- शास्त्रों के मुताबिक सिर्फ बिल्व पत्र को ही उल्टा करके चढ़ाना चाहिए, इसके नरम भाग को देवताओं के ऊपर चढ़ाना चाहिए।
- मुरझाए हुए फूल कभी भी देवी देवताओं को नहीं चढ़ाने चाहिए। मुरझाए हुए या बासी फूलों में सुगंध नहीं होती है,
- इसलिए भगवान को नहीं चढ़ाना चाहिए। परंतु तुलसी दल, गंगाजल तथा किसी तीर्थों का जल कभी भी बासी नहीं होता।
- एक फूल है, जिसे आप बासी भी चढ़ा सकते हैं। दौना। दौना तुलसी की तरह ही एक पौधा है, यह भगवान विष्णु को बहुतही
- प्रिय है, दौना की माला को सूख जाने पर भी भगवान विष्णु इसे स्वीकार कर लेते हैं।
- फूल चढ़ाने के लिए अपने हाथों की तीन उंगलियां मध्यमा, अनामिका और अंगूठे का इस्तेमाल करना चाहिए।
- इन तीन उंगलियों के अलावा बची दो उंगलियों से फूल को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- अक्सर फूलों में कई प्रकार के कीड़े लगे होते हैं, लोग इसे सीधे ही कीड़े लगे हुए फूलों को तोड़कर भगवान को चढ़ा देते हैं,
- पर हमें ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। कीड़े लगे हुए फूलों को तोड़कर कुछ देर अलग रख देना चाहिए, ताकि
- उसके कीड़े निकल जाएं बाद मे उन्हे देवताओं को अर्पण करना चाहिए। bhagwan ko phul chadane ke niyam
पूजा का फूल कब तोड़ना चाहिए?
शास्त्रों के मुताबिक अगर आप प्रातः काल स्नान आदि कर लेते हैं तो आप फूल तोड़ सकते हैं, पर अगर
आप ‘मध्याह्न-स्नान’ करते हैं, तो आप को स्नान करने के बाद फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
जो कोई भी व्यक्ति ‘मध्याह्न-स्नान’ करके फूल तोड़ता है, उस फूल को देवी देवताए स्वीकार नहीं करते। स्नान
के बाद हमें तुलसी, बिल्वपत्र तोड़ने चाहिए।
भगवान को फूल तोड़ने का मंत्र
“मा नु शोकं कुरुष्व त्वं स्थानत्यागं च मा कुरु। देवतापूजनार्थाय प्रार्थयामि वनस्पते ॥”
इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात पहला फूल तोड़ते वक्त ‘ॐ वरुणाय नमः’, दूसरा फूल तोड़ते वक्त
‘ॐ व्योमाय नमः’ और तीसरे फूल को तोड़ते वक्त ‘ॐ पृथिव्यै नमः’ का उच्चारण करे फिर इसके
बाद आप फूल तोड़ सकते हैं। भगवान को फूल चढ़ाने का नियम
फूल को उतारने के नियम
फूलों को एक पहर से अधिक देर देवताओं के ऊपर रहने के बाद उन्हें उतारा लिया जाता है।
फूल उतारने के लिए हमें तर्जनी और अंगूठे का इस्तेमाल करना चाहिए। फूल उतारते वक्त
बची हुई 3 उंगलियों से फूल को स्पर्श ना होने दे।