पीपल की पूजा शनिवार को क्यों करते हैं? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर दिन पीपल वृक्ष की पूजा करनी
चाहिए। क्यूंकी अलग-अलग दिन अलग अलग देवी-देवताओं का वास पीपल वृक्ष पर होता है। इसलिए
ऐसा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति भी होती है।
पीपल वृक्ष की पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती हैं।
यह पढ़ क्या? पीपल की पूजा क्यों करते हैं? pipal ki puja ka mahatva
पीपल की पूजा शनिवार को क्यों करते हैं?
शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की पूजा करना काफी लाभदायक माना गया है। माना जाता है, कि पीपल पर
हमेशा शनि देव की छाया रहती है। जिससे इस वृक्ष की पूजा से शनि दोष दूर रहता है। शनिवार के दिन
पीपल पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से शनि से संबंधित कष्टों का निवारण होता है।
बताया जाता है, जिस व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है, उस व्यक्ति को पीपल का
पूजन और परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि महादशा से मुक्ति मिल प्राप्त होती है।
पीपल पेड़ और शनि दोष से मुक्ति की कथा
महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद ऋषि थे। पिप्पलाद का अर्थ है पीपल के पेड़ के पत्ते खाकर जीवित रहने
वाला। महर्षि दधीचि ने संसार के हित में अपने खुद के शरीर को त्यागकर देवराज इंद्र को हड्डियों का दान कर दिया था।
तब विश्वकर्मा ने महर्षि दधीचि की हड्डियों से व्रज नामक अस्त्र बनाया था, जो बड़ा शक्तिशाली था।
दधीचि की पत्नी को जब इस बारे में पता चला, तो उनको बड़ा दुख हुआ और वो सती जाने के लिए निकल
पड़ीं। देवताओं ने उनको रोकने की काफी कोशिश की पर वह नहीं मानीं। उस समय दधीचि की पत्नी गर्भवती
थीं। उन्होंने अपने गर्भ से बच्चे को निकाला और पीपल के वृक्ष के नीचे रख दिया। फिर वह सती हो गईं।
वो बच्चा पीपल के पेड़ के नीचे पला-बड़ा। जिससे उनका नाम पिप्पलाद पड़ा। साथ ही पिप्पलाद ने पीपल के
पेड़ के नीचे कठोर तपस्या भी की। पिप्पलाद ऋषि के प्रभाव से पीपल को आशीर्वाद प्राप्त है, कि जो इस पीपल
वृक्ष की सेवा, पूजा करेगा उसको पुण्य फल की प्राप्ति होगी। साथ ही शनि दोष से भी मुक्ति मिलेगी।
दरअसल जब पिप्पलाद ऋषि को पता चला कि उनके पिता की मृत्यु शनि दोष के कारण हुई थी, तब उन्होंने
ब्रह्माजी के आशीर्वाद से ब्रह्मदंड की प्राप्ति की और शनि देव की डंडे से पिटाई की। इसी कारण से पीपल वृक्ष
की पूजा करने से शनिदोष से मुक्ति मिलती है।