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Wednesday, October 15, 2025
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पीपल की पूजा क्यों करते हैं? pipal ki puja ka mahatva

पीपल की पूजा क्यों करते हैं , पीपल का महत्व। सनातन धर्म में पीपल वृक्ष को बहुत ही

पवित्र माना जाता है। मान्यता अनुसार पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता

है। इसकी पूजा करने से कई तरह के लाभ होते हैं। pipal ki puja ka mahatva

साथ ही शनिदोष से भी मुक्ति भी मिलती है। इसलिए धार्मिक क्षेत्र में पीपल के पेड़ को भगवान माना गया है।

यह पढ़ क्या? ऐसा एक मंदिर, जहां भगवान विष्णु सालों से प्राकृतिक पाणी पर निद्रा में लीन हैं

पीपल की पूजा क्यों करते हैं?

पीपल के वृक्ष की पूजा कई अवसरों पर की जाती है, अमावस्या हो या पूर्णिमा। पीपल

वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी वास माना जाता है। इसलिए पीपल की पूजा

करने से पुण्य की प्राप्ति होती ही है साथ ही पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है।

पीपल का आयुर्वेदिक महत्व

वैज्ञानिकों ने इस वृक्ष को अनूठा बताया है। जो 24 घंटे ऑक्सीजन देता है।  जो हम

मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी है। पीपल के पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध से लेकर

अन्य कई ऋषि-मुनियों ने ज्ञानार्जन किया है। pipal ki puja ka mahatva

पुराणों में पीपल का महत्व

स्कंद पुराण में पीपल के वृक्ष के बारे में बताया गया है कि

पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, शाखओं में नारायण, तने में केशव, पत्तों में

भगवान हरि और फलों में सभी देवता वास करते हैं। पीपल का वृक्ष साक्षात भगवान

विष्णु स्वरूप है। महात्मा इस वृक्ष की सेवा करते हैं। पीपल का वृक्ष मनुष्यों के पापों

को नष्ट करने वाला है। पीपल में पितरों और तीर्थों का भी निवास होता है।

पीपल: भगवान विष्णु का स्वरूप

भागवत गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि ‘वृक्षों में सर्वोत्तम मैं पीपल हूं’। साथ ही पीपल

वृक्ष को ही भगवान विष्णु का स्वरूप भी बताया गया है। जहां भगवान विष्णु होंगे, वहां

लक्ष्मी स्वयं मौजूद होंगी। पीपल की महत्वता इससे भी पता चलती है कि भगवान कृष्ण

ने पीपल के वृक्ष के नीचे गीता का ज्ञान पूरी दुनिया को दिया था। इसलिए कारण पीपल

की पूजा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता हैऔर सभी कार्य भी पूरे होते हैं।

पीपल की पूजा से पितृ दोष होता है दूर

पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल की पूजा सर्वोत्तम मानी गई है। साथ ही पितरों

का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल के पौधे लगाने चाहिए। इससे चारों तरह सकारात्मक

वातावरण बना रहता है। गीता में भगवान कृष्ण ने पेड़ों में खुद का वर्णन पीपल किया है,

इसलिए पीपल का पेड़ लगाने से पुण्य फल की भी प्राप्ति होती है और साथ ही पीपल की

हर रोज पूजा करने पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। pipal-ki-puja-ka-mahatva

त्वचा की देखभाल कैसे करे daily skin care routine

daily skin care routine हररोज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इतना समय

नहीं मिल पाता कि हम अपनी त्वचा पर ध्यान दे सके। हमारी व्यस्त दिनचर्या

की वजह से हमारी त्वचा का नेचुरल ग्लो (Natural Skin Glow) धीरे धीरे काम होने

लगता है। ऐसे में त्वचा की खास देखभाल करना जरूरी हो जाता है।

कुछ लोग तो 35 की ही उम्र मे बूढ़े से लगने लगते हैं, क्योंकि उनके चेहरे पर

झुर्रिया (Wrinkles), डार्क सर्कल (Dark Circle) आदि पड़ने लगते हैं।

यह भी पढे: चेहरे पर निखार लाने के लिए घरेलू उपाय glow your skin naturally

पर चिंता की कोई जरूरत नहीं है, क्यूंकी थोड़ी हररोज की थोड़ी सी देखभाल

से आप आप इन सबसे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। अगर रोजाना कुछ

समय आप अपनी त्वचा को देते है तो इन सारी समस्याओ से आपको

आसानी से छुटकारा मिल सकता है। daily skin care routine

हम इसलिए ऐसी बाते कर रहे हैं क्योंकि सुंदरता कोई एक-दो दिन में

आनेवाली चीज नहीं है।  सुंदर दिखने के लिए सिर्फ गोरे रंग की आवश्यकता

नहीं होती। इसके लिए उसकी सही से केयर करना भी जरूरी होता है।

त्वचा की देखभाल कैसे करे daily skin care routine

कोई भी लड़की या महिला इस रूटीन को फॉलो करके सॉफ्ट, हेल्थी  

और ग्लोइंग त्वचा प्राप्त कर सकती हैं। daily skin care routine

जिस प्रकार से सुबह उठकर आप अपने दातों की सफाई करती हैं, उसी

प्रकार जरूरी है कि आप अपनी त्वचा की भी अच्छे से सफाई करें।

  • 1: सबसे पहले आप अपनी त्वचा पर क्लीनजर का इस्तेमाल करें। आप अपनी

त्वचा केहिसाब से क्लीनजर चुनें। त्वचा ड्राय है तो क्रीम बेस्ड क्लीनजर आपके

लिए सही रहेगा। अगर ऑयली है तो वॉटर बेस्ड क्लीनजर का इस्तेमाल करें।

क्लीनजर जितना माइल्ड होगा उतना अच्छा। क्लीनजर के इस्तेमाल से रात में

सोते वक्त आपकी त्वचा जो ऑयल प्रोड्यूस करती है, उसे वह साफ कर देता है।

  • 2: चेहरे को क्लीनजर से क्लीन करने के बाद उस पर मॉइसचराइजर अवश्य लगाएं।

मॉइसचराइजर को गालों पे लगाएं और फिर पूरे चेहरे  पर हलकी मसाज के साथ

फैला लीजिए।.अगर आपके मॉइसचराइजर में विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट्स है

तो इससे आपकी स्किन ज्यादा यूथफुल नजर आएगी। साथ इस तरह के

मॉइसचराइजर त्वचा के फ्री रेडिकल्स को खत्म कर देते हैं। daily skin care routine

  • 3. मौसम कोई भी हो स्किन को सूर्य की तेज किरणों से बचाने के लिए आपको

अपने चेहरे पर एसपीएफ spf युक्त क्रीम जरूरी लगानी चाहिए। इससे आपकी

त्वचा पर सूर्य की अल्ट्रा वायलेट ultra violet किरणों का असर नहीं पड़ता।

सुबह एसपीएफ लगाने के बाद आपको पूरे दिनभर में हर 3 घंटे के बाद चेहरे

पर एसपीएफ लगानी चाहिए। चाहे आप घर से बाहर निकलें या ना निकलें।

क्योंकि हमारे घर में लगी ट्यूबलाइट्स/बल्ब से भी यूवी रेज निकलती हैं।

रक्षाबंधन कब और क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबंधन त्योहार हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया

 जाता है। इस साल अग्रेंजी माह के अनुसार रक्षाबंधन 22

अगस्त 2021 रविवार के दिन मनाया जाएगा।

देखते हैं रक्षा बंधन का त्योहार क्यू मनाया जाने लगा?

रक्षाबंधन का इतिहास

एक मान्यता के अनुसार वृत्तासुर के साथ युद्ध करने जब इंद्रदेव

जा रहे थे तो उनकी पत्नी शची ने उन्हें रक्षा सूत्र बांधा था। और

तब से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। पर यह त्योहार

 भाई बहन बना, जब माता लक्ष्मी का इस से संबंध जुड़ा। rakshabandhan kyu manaya jata hai

रक्षाबंधन से जुड़ी माता लक्ष्मी

और राजा बलि की कथा

स्कंद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान

वामन ने महाराज बली से तीन पग भूमि मांगी। तब उन्हें पाताल

लोक का राजा बना दिया। उस समय राजा बली ने भी वर के रूप

में भगवान वामन से दिन रात अपने सामने रहने का वचन ले लिया।

भगवान को वामन अवतार के बाद पुन: माता लक्ष्मी जी के पास जाना

था, परंतु भगवान वचन देकर फंस गए और वे रसातल में राजा बली की

 सेवा में रहने लगे। rakshabandhan kyu manaya jata hai

यह पढ़ क्या ? ऐसा एक मंदिर, जहां भगवान विष्णु सालों से प्राकृतिक पाणी पर

निद्रा में लीन हैं… Budhanilkantha Temple Mystery And Interesting Facts

ऐसे शुरु हुआ गणेशोत्सव, Ganesh Chaturthi Festival History

अपने प्यारे भैया के लिए राखी भेजे

कैसे बनी माता लक्ष्मी राजा बलि की बहन

उधर इस घटना से माता लक्ष्मी काफी चिंतित हो गई। ऐसे में नारदमुनि

जी ने माता लक्ष्मी जी को एक उपाय बताया। नारद जी ने कहा कि आप

राजा बलि को भाई बना लें और उनसे रक्षा का वचन ले।

नारदमुनि जी के बताए अनुसार माता लक्ष्मी ने एक सामान्य महिला

 का रूप धरण किया और रोते हुए राजा बलि के दरबार में पहुंच गई।

राजा बलि ने उस महिला से उसके रोने का कारण पूछा। माता लक्ष्मी

 ने कहा, मेरा कोई भाई नहीं और ना ही कोई मुझे बहन बनाना चाहता।

क्या करूं महाराज? rakshabandhan kyu manaya jata hai

उस महिला की व्यथा सुनकर राजा बलि ने उन्हें अपनी बहन

बनाने का प्रस्ताव रखा। तब साधारण महिला का रूप धरण की हुई

माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा और वचन लिया कि

बहन की रक्षा करोगे और उससे दक्षिणा भी दोगे।

भगवान श्रीहरी की वचन से मुक्ति

राजा बलि ने उसे वचन दे दिया। तब माता लक्ष्मी ने असली रूप

में आकर राजा बलि से कहा कि तुमने मुझे अपनी बहन माना है, तो दक्षिणा

के रूप में मुझे मेरे पति को लौटा दें।

इस प्रकार से माता लक्ष्मी ने राजा बलि को अपना भाई बनाया और

भगवान श्रीहरि को भी वचन से मुक्ति कराकर अपने साथ लें गई।

जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी।

तभी से रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं।

और इसी कारण से ही रक्षाबंधन पर महाराजा बली की कथा

सुनने का प्रचलन भी है।

ऐसा मंदिर, जहां भगवान विष्णु सालों से प्राकृतिक पाणी पर निद्रा में लीन हैं

ऐसा मंदिर, जहां भगवान विष्णु सालों से प्राकृतिक पाणी पर निद्रा में लीन हैं

5 मीटर लंबी भगवान व‍िष्‍णु जी की मूर्ति, 13 मीटर

लंबे तालाब में मौजूद है।

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का त्रिदेवों सहित पंच देवों

 में भी एक प्रमुख स्थान है। ऐसी स्थिति में देश विदेश

में कई स्थानों पर भगवान विष्णु जी के मंदिर देखने को

 मिल जाते हैं। साप्ताहिक दिनों में भी बृहस्पतिवार

मतलब गुरुवार को भगवान विष्णु जी का दिन माना जाता है।

दोस्तों यह हम आपको भगवान विष्णु जी के एक अद्भुत मंदिर

के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। जो ना सिर्फ अद्भुत है,

बल्कि यहां भगवान विष्णु जी की एक मूर्ति कई वर्षों से एक

प्राकृतिक तालाब में निद्रा की मुद्रा में स्थित है।

हम ज‍िस मंदिर के बारे मे बात कर रहे हैं, वह नेपाल के

 काठमांडू से 8 किमी दूर शिवपुरी पहाड़ी की तलहटी में है।

यह भगवान व‍िष्‍णु जी का मंदिर है। इस मंद‍िर का नाम

‘बुदानिकंथा’ है। Budhanilkantha Temple Mystery And Interesting Facts

भगवान विष्णु मंदिर की आख्यायिका

मंदिर को लेकर कथा है, क‍ि यह मंदिर राज-पर‍िवार के

लोगों के शापित है। शाप के डर की वजह से राज-परिवार

के लोग इस मंदिर में बिल्कुल भी नहीं जाते।

बताया जाता है, कि यहांपर राज-परिवार को शाप म‍िला था।

 इसके मुताब‍िक अगर राज-पर‍िवार का कोई भी व्यक्ति

मंद‍िर में स्‍थाप‍ित मूर्ति के दर्शन करेगा, तो उसकी मौत

हो जाएगी। इसी शाप के चलते राज परिवार के लोग इस

मंद‍िर में स्‍थाप‍ित मूर्ति की पूजा भी नहीं करते और

ना ही दर्शन करने जाते है। Budhanilkantha Temple Mystery And Interesting Facts

यह पढ़ा क्या ? हिन्दू व्रत पर्व Monthly Hindu Panchang

इस मंदिर के बारे में और जानकारी

पर मंदिर में स्‍थाप‍ित भगवान व‍िष्‍णु जी की मूर्ति का ही

एक प्रत‍िरूप तैयार क‍िया गया, ताकि राज-पर‍िवार के

लोग इस मूर्ति की पूजा कर सकें।

‘बुदानिकंथा’ में भगवान विष्णु एक प्राकृतिक पानी

के ऊपर 11 नागों की सर्पिलाकार कुंडली में विराजमान

हैं। सुनने को मिलता है, क‍ि एक किसान द्वारा काम

करते व्यक्त यह मूर्ति प्राप्त हुई थी। मूर्ति की लंबाई 5

मीटर है। जिस तालाब में मूर्ति स्‍थाप‍ित है उस तालाब की

लंबाई 13 मीटर है। इस मूर्ति में भगवान व‍िष्‍णु जी के

पैर एक दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं। नागों के 11 स‍िर भगवान

विष्णु जी के छत्र बने हुए हैं।

पौराण‍िक कथा

एक पौराण‍िक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के वक्त व‍िष न‍िकला

था, तो सृष्टि को व‍िनाश से बचाने के ल‍िए भगवान श‍िवजी ने

विष को अपने कंठ में ले ल‍िया था। जिसकी वजह से उनका

गला नीला पड़ गया था।

इसी जहर से जब भगवान श‍िवजी के गले में जलन बढ़ने लगी

 तब उन्‍होंने उत्तर की और सीमा में प्रवेश क‍िया। उसी द‍िशा

में झील बनाने के हेतु त्रिशूल से एक पहाड़ पर वार

 क‍िया इससे यह झील बनी।

मान्‍यता यह भी है क‍ि इसी झील के पानी से उन्‍होंने

अपनी प्‍यास बुझाई।

कलियुग में नेपाल की झील को ‘गोसाईकुंड’ नाम से जाना

 जाता है। कहा जाता है क‍ि ‘बुदानीकंथा’ मंदिर का पानी इसी

‘गोसाईकुंड’ झील से उत्‍पन्‍न हुआ था। मान्‍यता के अनुसार

मंदिर में अगस्‍त महीने में वार्षिक श‍िव उत्‍सव के दौरान

इस झील के नीचे भगवान श‍िवजी की भी छव‍ि देखने को म‍िलती है।

परीक्षा से डरे नहीं, ऐसे करे तैयारी, exam anxiety and preparation

exam anxपरीक्षा से डरे नहीं, ऐसे करे तैयारी. ऐसे कई विद्यार्थी होंगे, जिन्होंने

बहुत पढ़ाई की लेकिन फिर भी मनचाही सफलता नहीं मिली।

अच्छे अंक लाना ही मंजिल नहीं

दोस्तों सबसे पहली बात परीक्षा मे ज्यादा अंक मिलना ही

सफलता नहीं है। ऐसे कई लोग है  जिन्होंने बहुत पढ़ाई की,

अच्छे मार्क्स भी लाए, लेकिन फिर भी वो अपने जीवन मे संघर्ष कर रहे हैं।

काम को आसान बनाता है अभ्यास

कोई भी काम मुश्किल या आसान नहीं होता। कोई भी काम

हो शुरू में हमेशा ही मुश्किल होता है। जब आप उसे लगातार

करते रहते हैं, तो धीरे-धीरे आप उस कार्य में निपुण हो जाते हो,

फिर चाहे वह पढ़ाई ही क्यू ना हो। exam anxiety and preparation

परीक्षा से डरे नहीं : डटे रहना है

अगर आप किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में पूरे मन से लगे हुए

हैं, तो प्रकृति भी आपके लिए आपकी सफलता का मार्ग प्रशस्त

करती है।आपको सिर्फ उस और प्रयास करने की जरूरत है।

ऐसे देना है अपने बच्चे का साथ

·      विश्वास रखे

पेरेंट्स भी यहां भूमिका निभाते है। परटेक बच्चे में सफल

होने की काबिलियत है, बस उसका तरीका अलग अलग हो

सकता है। आपके बच्चे के प्रति आपका विश्वास बंधन इतना

मजबूत होना चाहिए कि, वो आपको अपने जीवन की हर बात

बताए, आपसे कुछ भी छिपाए नहीं।

·      एक अच्छा श्रोता बनें

आप अपने बच्चे की सभी बाते अच्छी तरह सुनें और समझें।

कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले उसे भावनात्मक और

विश्लेषणात्मक रूप से जानें, समझें। उससे कोई गलती हो जाती

है तो भी उसे डांटे नहीं, दोषी ना ठहराये। उसे जरूर उसका पक्ष रखने दें।

·      बचों साथ वक्त बिताएं

यह जानते हुए कि जीवन में सबसे ज्यादा प्यारा, अजीज हर

माता-पिता के लिए उसका बच्चा ही होता है। कई बार जाने

अनजाने मे माता-पिता बच्चे की दैनिक जरूरतें पूरी कर देते

 हैं, पैसों की कमी महसूस नहीं होने देते। अच्छे स्कूल में भी

 दाखिला दिलवा देते हैं। पर बच्चों को समय बहुत कम दे

पाते हैं, जो की बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

·      बच्चे को प्रेरित करें

अपने बच्चे को काम न करने के नुकसान ज्यादा न बताएं।

उसको काम को सफलतापूर्वक कैसे किया जय ये बताए और

उससे होनेवाले फ़ायदों के बारे मे बाते करे।

·      सफल व्यक्ति बनने के लिए पढ़ाएं

बच्चो को सिर्फ अच्छे मार्क्स लाने के लिए ना पढ़ाएं, बल्कि

सम्पूर्ण सफल व्यक्ति बनाने के लिए पढ़ाएं। पढ़ाई का

वास्तविक उद्देश्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है, इस

बात को समझकर उनको पढऩे को प्रेरित करें। उनकी पढ़ाई से

जुड़े गुणों को जानें और उनकी समस्याओं को समझें

और उनकी उसमे मदद करे।

सकारात्मक सोच रखे

बच्चों हमेशा सफल कैसे हों, इस बारे में सोचें और हमेशा

पॉजिटिव रहें। कौन स भी विषय या परीक्षा हो, उससे डरे

नहीं और ना ही तनाव में आएं। अपने आप से कहें कि

आपके दिमाग और इरादे के आगे ये कुछ नहीं है। कभी

भी यह ना सोचें कि मुश्किल है या नहीं होगा।

परीक्षा देते वक्त ध्यान मे रखे यह बाते expert advice while giving exam

परीक्षा की तारीख आते ही प्रेशर दिखना शुरु हो जाता है। expert advice while giving exam

स्टूडेंट्स बोर्ड एग्जाम्स में अच्छे मार्क लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। पर कई बार कुछ

छोटी छोटी गलतियों की वजह से लास्ट आवर्स में उन्हें परेशानी योंका

सामना करना पड़ सकता है।

आइए जाने एक्सपर्ट से जिन्हे परीक्षा देते वक्त ध्यान मे रखना

बेहद जरूरी है, expert advice while giving exam

Exam सेंटर पर हॉल टिकट के बिना पहुंच जाना

आपने भले ही इग्ज़ैम की तैयारी अच्छे से की है, पर अगर आप लास्ट

आवर में बिना हॉल टिकट (प्रवेश पत्र) के इग्ज़ैम सेंटर पर पहुंच जाते हो,

 तो यह बहुत बड़ी गलती कहलाएगी, इसका सीधा असर आपके इग्ज़ैम पर भी होगा। इसलिए घर से निकलने से पहले ही एक बार सुनिचित्त कर ले की आपने

 admit कार्ड लिया हुआ है ।  यदि आपका ऐडमिट कार्ड खो गया है, तो पहलेसे ही

आप एक लिखित आवेदन लेकर जाएं और दोबारा ऐडमिट कार्ड देने को कहें।

ध्यान रहे इस प्रोसेस मे टाइम लग सकता है, इसलिए व्यक्त रहते ही सब

 काम निपटा ले। expert advice while giving exam

एग्जाम सेंटर पर पहुंचने के बाद आपको पता चलता है कि आपने ऐडमिट

कार्ड खो दिया है तो आप धैर्य ना खोए, बिना व्यक्त गवाये तुरंत इसकी

 सूचना एग्जाम सुपरवाइजर को दें। आप उनसे परीक्षा में बैठने

 की अनुमति मांगे।

फोटो कॉपी xerox जरूर रखें

अपने हॉल टिकट की फोटो कॉपी अपने साथ जरूर रखा करे। साथ

ही आप घर पर भी इसकी एक फोटो कॉपी रखें। घर के सदस्यों को

भी इसके बारे में जरूर जानकारी दें, ताकि आपको जरूरत पड़ने पर

वे आपकी मदद कर सके। फोटो कॉपी xerox से आपको एग्जाम में

 शामिल होने की अनुमति मिल जाएगी। एग्जाम देकर निकलने के

बाद सेंटर में एक लिखित पत्र दें कि अगले दिन आप original हॉल

 टिकट के साथ आएंगे। expert advice while giving exam

Exam Stress Reliever Paperback

कोई कागज आपके आसपास दिख जाए

एग्जाम हॉल में कोई कागज आपके आसपास गिरा हुआ आपके दिख

 जाए तो इसकी सूचना तुरंत इन्वेजिलेटर को दें। ऐसा ना करने पर

आपको एग्जाम में दोषी माना जा सकता है।

हिन्दू व्रत पर्व Monthly Hindu Panchang

व्रत जो हर महीने आते हैं? Monthly Hindu Panchang

क्या आप जानते है की ऐसे हिन्दू व्रत त्योहार जो हर महीने मे आते है? इनमें से अधिकांश एक

महीने मे 2 बार भी आते हैं। हिन्दू व्रत पर्व Monthly Hindu Panchang

हमारे हिंदू धर्म में कई देवी देवताओं का पूजन किया जाता है। ऐसे में अधिकांश देवताओं के

प्रमुख तीफर साल में एक ही बार आते हैं। तो वही पर कई

ऐसे भी हैं जो हर महीने मे आते हैं।

हिन्दू पंचांग में कुछ हिन्दू व्रत पर्व Monthly Hindu Panchang

हर महीने होते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हर महीने में उन व्रत-पर्वों की कथा

और हिन्दू व्रत पर्व Hindu Panchang  का महत्व भी बदल जाता है।

आज इस आर्टिकल मे हम आपको कुछ ऐसे ही हिन्दू व्रत पर्व Hindu Panchang

के बारे में बताने जा रहे हैं। जो हर महीने तो आते ही हैं, साथ ही इनमें से कई एक महीने मे 2 बार भी आते हैं।

यह भी पढे : https://apnibat.com/lifestyle/beauty-lifestyle/glow-your-skin-naturally-at-home/

Chatutrthi चतुर्थी:

 हर माह में 2 चतुर्थियां होती हैं, एक वर्ष में 24 और अधिकमास के व्यक्त 26 चतुर्थियां होती हैं।

इसमे से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी बोलते है और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली

चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी बोलते हैं।

Ekadashi एकादशी : 

हर महीने में 2 Ekadashi एकादशी होती हैं| वर्ष में 24 और अधिकमास के समय

मे 26 एकादशियां आ जाती हैं। हर एक एकादशी के नाम अलग अलग होते हैं।

Pradosh प्रदोष : 

महीने में 2 त्रयोदशी अर्थात प्रदोष के व्रत होते हैं, इस प्रकार से वर्ष में 24 और

अधिकमास के व्यक्त 26 प्रदोष व्रत हो जाते हैं।

Purnima पूर्णिमा और Amavasya अमावस्या:

 महीने में 1 अमावस्या और 1 पूर्णिमा के व्रत होते हैं| 1 साल में इनकी कुल 24

अमावस्या(पूर्णिमा) और अधिकमास होने पर 26 अमावस्या (पूर्णिमा) होती हैं।

हर अमावस्या और पूर्णिमा का नाम अलग अलग होता है।

Sankranti संक्रांति :

हर महीने सूर्य एक राशि से निकलकर दूरी राशि में चल जाता है, ऐसे में इस मान

से साल में कुल 12 संक्रांतियां होती है। ऐसे मे मकर संक्रांति का क्या महत्व है?

मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होता है, वहीं कर्क संक्रांति पर यह दक्षिणायन होता है।

Must Watch: https://gharelunuske.com/ayurved/how-to-check-ghee-is-pure-or-not/

पंचमी, छठ,दूज, सप्तमी, अष्टमी और नवमी:

 इन तिथियों के व्रत भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनकी कुल संख्या भी शुक्ल पक्ष और

कृष्ण पक्ष के हिसाब से हर महीने 2 बार होती है। इस प्रकार ये साल में 24 और अधिकमास में 26 हो जाती हैं।

वहीं इन अलावा कुछ ऐसे भी दिन हैं, जिनकी गणना न तो व्रतों में होती है और न ही

पर्वों में। लेकिन यह हर महीने आते जरूर हैं और विशेष भी होते हैं।

 हिन्दू व्रत पर्व Monthly Hindu Panchang

दरअसल हर महीने में पांच नक्षत्रों

(पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद , घनिष्ठा, शतभिषा, और रेवती )

के मेल से निर्मित होने वाले योग को पंचक Panchak  कहा जाता है।

वहीं इस दौरान हर तरह के मांगलिक कार्यों को

अशुभ माना गया है। ऐसे में ये पंचक भी हर महीने पड़ते हैं।

इसके साथ ही हर दिन राहु काल भी होता है।

किसान सम्मान निधि योजना

केंद्र सरकार की ओर से भारत देश के किसानों को सम्मानित करने के लिए किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किया गया है। इस योजना के माध्यम से सभी छोटे एवं सीमांत किसानों को केंद्र सरकार की ओर से उनके कार्यों के लिए वित्तीय सहायता देकर सम्मानित किया जाएगा।

किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा 1 फरवरी 2019 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जी द्वारा की गई थी। भारत देश के जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर तक की जमीन है एवं वह जमीन कृषि योग्य है तो उन्हें केंद्र सरकार की ओर से ₹6000 वित्तीय सहायता दिया जाएगा।

योजना का मुख्य उद्देश्य

  • केंद्र सरकार की ओर से भारत देश के सभी छोटे एवं सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान किया जाएगा।
  • वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल राज्य को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में किसान सम्मान निधि योजना का लाभ कृषकों को मिल रहा है।
  • किसानों को केंद्र सरकार की ओर से ₹6000 तीन किस्तों में दी जा रही है।
  • भारत देश के करोड़ों किसानों ने किसान सम्मान निधि योजना के तहत अपना नाम रजिस्टर्ड करवाया है।
  • केंद्र सरकार की ओर से इस योजना को सफल बनाने हेतु 60000 करोड़ का बजट तय किया गया है।

लाभ

  • भारत देश के किसानों को किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दिया जाएगा।
  • किसान को वित्तीय सहायता देकर केंद्र सरकार उन्हें कृषि कार्य के प्रति प्रेरित करेगी।
  • किसानों का मनोबल बढ़ेगा एवं वे खेतों की सिंचाई और भी अच्छे से करेंगे।
  • किसानों को केंद्र सरकार की ओर से सहायता राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा।
  • योजना के लिए विभिन्न बहिष्करण श्रेणियां हैं। किसान अपना स्टेटस pm kisan online portal www-pmkisan-gov-in पर या मोबाइल एप के जरिए चेक कर सकते हैं।

किसान सम्मान निधि योजना से जुड़ी कुछ खास बातें

  • राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन उन किसान परिवारों की पहचान करेगा जो योजना दिशानिर्देशों के अनुसार सहायता के लिए पात्र हैं।
  • हाल ही में बहुत सारे फेक किसान भी इस योजना का लाभ उठा रहे थे। इसलिए बीच में सरकार ने इस योजना की वित्तीय राशि को देना बंद कर दिया था।
  • जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर के आसपास की भूमि हैं केवल उन्हीं किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा।
  • जिन किसानों के पास कृषि योग्य भूमि है उन्हें केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय सहायता दिया जाएगा।
  • सभी छोटे एवं सीमांत किसान योजना का लाभ उठा पाएंगे।
  • इस योजना को पहली बार तेलंगाना सरकार द्वारा रायथु बंधु योजना के रूप में लागू किया गया था, जहां एक निश्चित राशि किसानों को सीधे को दी जाती है।

दस्तावेज

  • आवेदक का नाम डेटाबेस में होना आवश्यक है।
  • आवेदक का आधार नंबर और मोबाइल नंबर।
  • आवेदक का अपने खुद के नाम पर बैंक अकाउंट होना चाहिए।
  • किसान सम्मान निधि योजना केंद्र सरकार की एक योजना है जिसके तहत आवेदक को स्थाई रूप से भारत देश का निवासी होना बहुत जरूरी है।
  • आवेदक का कलर साइज फोटोग्राफ।

आवेदन प्रक्रिया

  • यदि किसान सम्मान निधि योजना का लाभ भारत देश के किसान उठाना चाहते हैं तो उन्हें निम्नलिखित वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा- https://pmkisan.gov.in
  • वेबसाइट पर सब कुछ दिया हुआ है।

ऐसे शुरु हुआ गणेशोत्सव, Ganesh Chaturthi Festival History

Ganesh Chaturthi Festival History हम सभी के गाँव, घरों, शहरों, मोहल्लों में गणेश

जी विराजमान हैं। पूरा माहौल गणपति जी की आराधना में डूबा हुआ है।

पर दोस्तों क्या आप जानते हैं? कि गणेशोत्सव की शुरुवात कैसे हुई थी?

इस उत्सव का आरंभ कैसे हुआ?

 ऐसे शुरु हुआ गणेशोत्सव, Ganesh Chaturthi Festival History

गणेशोत्सव की शुरुआत 1893 में महाराष्ट्र राज्य मे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की।

हालांकि 1893 के पहले भी गणेशोत्सव बनाया जाता था, पर उस व्यक्त यह घरों तक ही सीमित था।

उस व्यक्त आज की तरह पंडाल नहीं बनाए जाते थे, और ना ही सामूहिक पद्धति से गणपति विराजते थे।

ऐसे शुरु हुआ गणेशोत्सव, Ganesh Chaturthi Festival History

बाल गंगाधर तिलक Lokmanya Bal Gangadhar Tilak

लोकमान्य तिलक उस व्यक्त एक युवा क्रांतिकारी थे, गर्म दल के नेता के रूप में जाने जाते थे।

लोकमान्य एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता थे साथ ही प्रभावी ढंग से भाषण देने में माहिर भी थे।

ब्रिटिश अफसर ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि अगर किसी मंच से तिलक भाषण देंगे

तो वहां आग भड़काना तय है।

हमारे लोकमान्य तिलक हमारे ‘स्वराज’ के लिए संघर्ष कर रहे थे।

वो अपनी बातों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते थे।

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इस काम के लिए उन्हें ऐसा सार्वजानिक मंच चाहिए था, जिसके

जरिए वे उनके विचार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके।

और इस काम को अंजाम देने के लिए इस उन्होंने गणेशोत्सव को चुना।

और इस तरह से सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुवात हुई।

इसे सुंदर भव्य रूप दे दिया, जिसे आज हम सभी देखते हैं। Ganesh Chaturthi Festival History

गणेशोत्सव भारतीय पंचांग के किस महीने में मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी के दिन से गणेशोत्सव की शुरुवात होती है।

और बादमे 11वें दिन यानी की अनंत चतुर्दशी पर गणेशप्रतिमाओं के

विसर्जन के साथ ही इसका समापन होता है।

भाद्रमास के शुक्‍लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

गणेशोत्सव परंपरा Ganesh Chaturthi Festival History

शिवपुराण में इसका उल्‍लेख मिलता है, कि इस त्‍योहार को मनाने की परंपरा

सदियों से चली आ रही है। भारत के पश्चिम और दक्षिण राज्‍यों में यह त्‍योहार

बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

भारत में जब पेशवाओं का शासन था, तब से गणेशउत्‍सव मनाया जा रहा है।

सवाई माधवराव पेशवा के शासन में पूना का प्रसिद्ध  राजमहल ‘शनिवारवाड़ा’

में भव्य गणेशोत्सव मनाया जाता था। जब अंग्रेज भारत आए, तो उन्होंने पेशवाओं

के राज्यों पर कब्जा कर लिया। तभी से वहां इस त्‍योहार की रंगत फीकी पड़ना शुरू

हो गई। पर कोई भी इस परंपरा को बंद नहीं कर सका।

अटल पेंशन योजना की पूरी जानकारी , Atal Pension Yojana

Coअटल पेंशन योजना की पूरी जानकारी , Atal Pension Yojana

अटल पेंशन योजना क्या है?

atal pension yojna असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के

लिए सामजिक सुरक्षा स्कीम है। अटल पेंशन योजना में निवेश invest करने

से रिटायरमेंट retirement के बाद के खर्च करने के लिए आपको नियमित

आय मिलती है। केंद्र सरकार ने इस योजना को मई 2015 में शुरू किया।

यह पढ़ क्या: बैंक मे खाता है तो अभी जान ले यह शर्ते, कहीं पछताना ना पड़े

असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए इससे पहले इस प्रकार की कोई

योजना नहीं थी। अटल पेंशन योजना atal pension yojna में निवेश करने

से रिटायर होने के बाद आपको हर महीने पेंशन मिल सकती हैं।

Complete information Atal Pension Yojana

इस योजना की बड़ी खासियत यह भी है, कि अगर आपकी

असामयिक मृत्यु हो जाए तो आपके परिवार को फायदा जारी

रखने का प्रावधान इस योजना मे है। इस योजना में निवेश करने वाले

व्यक्ति की अगर मृत्यु होने पर उसकी पत्नी को और अगर पत्नी

की भी मृत्यु हो जाए तो उस स्थिति में बच्चों को पेंशन मिलने का

प्रावधान है। Complete information of Atal Pension Yojana 2021

अटल पेंशन योजना में कितना जमा करना पड़ता है?

आपके रिटायर होने के बाद जीवनभर पेंशन पाने के लिए

इस पेंशन स्कीम में कुछ सालों तक निवेश करना होता है।

आपके निवेश के साथ ही सरकार भी इस अटल योजना में उनकी

ओर से भी अंशदान दे देती है। Complete information of Atal Pension Yojana 2021

किसके लिए है अटल पेंशन योजना?

इस योजना के लिए भारतीय होना आवश्यक है।कोई भी

भारतीय नागरिक इसमे निवेश कर सकता है।

अटल पेंशन योजना हिस्सा लेने के लिए आपका बैंक खाता होना आवश्यक है।

और खाता खोलने के साथ ही इसे आधार कार्ड से जुड़ा होना भी जरूरी है।

इस योजना का लाभ उन्हीं लोगों को मिल सकता है, जो लोग इनकम टैक्स स्लैब

से बाहर हैं।

क्या अटल पेंशन योजना में उम्र सीमा है?

इस योजना के लिए लोगों को छह हिस्सों में बांटा गया है। इस योजना का लाभ

उठाने के लिए आपकी उम्र 18 से 40 साल के बीच की होनी चहिए।

इस योजना के तहत पेंशन pension पाने के लिए कम से कम 20 वर्षों

तक निवेश करना होगा। Complete information of Atal Pension Yojana 2021

अटल योजना में कितना पेंशन मिलता है ?

पेंशन की रकम आपके द्वारा निवेश किए गए रुपये और आपकी साथ ही

आपकी उम्र पर भी निर्भर करती है।

अटल पेंशन योजना के तहत पेंशन कम से कम 1,000 रुपये तथा अधिकतम 5,000 रुपये

तक मासिक पेंशन मिल सकती है।

आपकी 60 साल की उम्र से आपको पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी।

अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जाकर देख सकते है।