28.1 C
Delhi
Tuesday, October 14, 2025
Home Blog Page 2

आज ही हटा लें पलंग के नीचे से ये चीजें वरना पत्नी आपको छोड़ देगी

पलंग का इस्तेमाल केवल सोने के लिए ही नहीं किया जाता है, बल्कि इसका शुभ और अशुभ प्रभाव हमारे जीवन पर भी पड़ता है। अगर पलंग की दिशा गलत होती है तो इससे हमारे जीवन में कुछ परेशानियां बढ़ सकती हैं। जानिए पलंग के नीचे कौन-कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए 

वास्तु के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि अगर गलत स्थान पर रखे हुए पलंग पर व्यक्ति होता है तो उसे ठीक से नींद नहीं आती है। इसी के साथ मानसिक तनाव भी बना रहता है।

 देखा जाए तो अगर गलत दिशा में रखें पलंग पर पति पत्नी भी सोते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन में परेशानियां उत्पन्न होती रहती हैं और बीमारियां होने का भी डर रहता है।

जब भी हम पलंग का इस्तेमाल करते हैं तो उसके लिए सही दिशा का होना बहुत ही आवश्यक है और इसी के साथ वास्तु शास्त्र के अनुसार पलंग के नीचे क्या क्या नहीं रखना चाहिए यह भी बहुत महत्व देता है।

इस आर्टिकल में हम आपको इस बात से अवगत करवाने जा रहे हैं, कि पलंग के नीचे आपको कौन-कौन सी चीजों को नहीं रखना चाहिए और अगर आप जिन चीजों को रखते हैं, तो उनसे आपको क्या नुकसान हो सकता है।

पलंग के नीचे यह चीजें कभी भी भूल गए ना रखें। इससे आपके रिश्ते में खटास आ सकती है, तो आइए हम आपको कुछ ऐसे ही चीजों से अवगत करवाते हैं जिनका इस्तेमाल आप कभी भी पलंग के नीचे रखने के लिए ना करें।

  • इलेक्ट्रिकल सामान

सबसे पहले बात की जाती है इलेक्ट्रिकल सामान की, वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इलेक्ट्रिकल सामान को कभी भी पलंग के नीचे नहीं रखना चाहिए क्योंकि, इससे धन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसी के साथ नींद ना आने की समस्या से भी सामना करना पड़ सकता है इसीलिए कभी भी इलेक्ट्रिकल सामान को पलंग के नीचे ना रखें।

  • कपड़ों की गठरी

कई बार हमारे घर में फटे पुराने कपड़े इकट्ठे हो जाते हैं तो हम उसकी गठरी बनाकर पलंग के नीचे रख देते हैं, परंतु ऐसा नहीं करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह बिल्कुल भी शुभ नहीं होता है। इसके जरिए घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है और वास्तु दोष घर की सुख शांति को भी खत्म कर देता है।

  • जूते और चप्पल

वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कभी भी पलंग के नीचे या पलंग के आसपास या पलंग के सिरहाने पर जूते चप्पल नहीं रखनी चाहिए। इसके जरिए हमारे जीवन में नेगेटिविटी एनर्जी ज्यादा उत्पन्न होती है।

  • पानी

वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सोते समय अपने सिरहाने पर कभी भी पानी नहीं रखना चाहिए क्योंकि, इससे चंद्रमा अधिक प्रभावित होता है और मनोरोग जैसी बीमारियां भी उत्पन्न होती हैं। इसी के साथ पानी में मौजूद एलिमेंट की वजह से आप सो नहीं सकते हैं।

  • लोहे का सामान

वास्तु शास्त्र के अनुसार यह कहा जाता है कि अपने पलंग के नीचे कभी भी आपको लोहे का सामान नहीं रखना चाहिए। यह आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इससे भी वास्तु दोष उत्पन्न होता है।

 अगर आपके लिए वह सामान कोई काम का नहीं है तो आप उसे फेंक सकते हैं या कबाड़ को बेच सकते हैं। इसी 

के साथ अगर बाद में उस सामान की आवश्यकता पड़ती है तो बेहतर है कि उसे कहीं और रख दें, परंतु कभी भी पलंग के नीचे लोहे के सामान को नहीं रखना चाहिए।

  • शीशा आईना

वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सिर के पास या बिस्तर के सामने कभी भी आईना नहीं लगाना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में कैलेरिस उत्पन्न होने की संभावना रहती है।

  • झाड़ू

ऐसा कहा जाता है कि पलंग के नीचे झाड़ू रखना बहुत ही अशुभ होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर आप पलंग के नीचे झाड़ू रखते हैं तो इससे मन और मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इसी के साथ आपके घर में परेशानी और आर्थिक परेशानी दोनों ही बनी रहती हैं। इसका असर घर के सदस्य की सेहत पर भी पड़ सकता है इसीलिए कभी भी पलंग के नीचे झाड़ू नहीं रखनी चाहिए।

कुछ अन्य चीजें जो पलंग के आसपास नहीं रखनी चाहिए।

  • ऐसा कहा जाता है कमरे के दरवाजे के ठीक सामने कभी भी पलंग नहीं रखना चाहिए।
  •  अगर आप दरवाजे के सामने पलंग रखते हैं तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है। इसके जरिए आर्थिक समस्या, मानसिक तनाव, बीमारी समस्याएं आपके जीवन में बनी रहती हैं।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है आपके पलंग का सिरहाना और बिस्तर दोनों ही आरामदायक होना चाहिए। अगर सिरहाना ठोस लकड़ी का होगा तो ज्यादा शुभ रहता है।
  • अगर सिरहाना ठोस लकड़ी का नहीं बना हुआ है तो उसके नीचे कोई भी वस्तु नहीं रखनी चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो ठीक से नींद नहीं आती है। अगर नींद आ भी जाए तो बुरे बुरे ख्याल और सपने आते हैं।
  • पलंग की ऊंचाई ना तो ज्यादा ऊंची होनी चाहिए और ना ही ज्यादा कम होनी चाहिए।
  • हमेशा ध्यान रखें पलंग के नीचे कोई भी वस्तु ना रखें। अगर आप ऐसा करते हैं तो इसके जरिए ऊर्जा मार्ग बाधित होता है और ऊर्जा रुक जाती है। अगर ऊर्जा रुक जाती है तो आपको शक्ति नहीं मिलती है।
  • अगर आप पलंग के नीचे कोई भी सामान नहीं रखेंगे तो आपको ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती है और सुबह उठकर आप खुद को एकदम तरोताजा महसूस करते हैं। इसी के साथ दिनभर की एनर्जी भी बनी रहती है।
  • पलंग रखते समय हमेशा ध्यान रखें कि पलंग के सिरहाने के ठीक पीछे दीवार होनी चाहिए ऐसा होने पर आपको अधिक ऊर्जा मिलती है।
  • अगर आप के सिरहाने के पीछे खिड़की या खुला हुआ हिस्सा होता है तो आपके आसपास की ऊर्जा बाहर चली जाती है।
  • अपने बेडरूम में कभी भी टीवी फ्रिज कंप्यूटर आदि इलेक्ट्रॉनिक आइटम नहीं रखनी चाहिए। अगर रखते हैं तो उन्हें पलंग के पास नहीं रखनी चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा मिलती है और आप बीमार हो सकते हैं।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने कमरे में पानी से संबंधित कोई भी फोटो ना लगाएं ऐसा करने से धन हानि बढ़ने की संभावना रहती है।
  • पलंग पर अगर आप खाने की वस्तु या पानी रखते हैं तो इससे आपको हानि मिल सकती है। आर्थिक समस्या बीमारी रिश्तो में तनाव इत्यादि समस्याएं भी होती हैं।
  • अपने पलंग के आस पास कभी भी धर्म से जुड़ी हुई चीजों को नहीं रखना चाहिए क्योंकि, ऐसा करने से देवी देवता नाराज हो जाते हैं और जीवन की परेशानियां बढ़ जाती है।

आज ही हटा लें पलंग के नीचे से ये चीजें वरना पत्नी आपको छोड़ देगी

दोस्तों इस आर्टिकल में हमने आपको इस बात की जानकारी दी है कि आप पलंग के नीचे क्या सामान नहीं रख सकते हैं। इसी के साथ पलंग के आसपास भी आपको क्या समान रखना चाहिए और क्या नहीं रखना चाहिए? क्या आपके लिए शुभ होता है और क्या अशुभ होता है? 

वास्तु शास्त्र के अनुसार पलंग की दिशा हमारे लिए बहुत ही आवश्यक होती है। इन सभी बातों की जानकारी आपको इस आर्टिकल में दी गई है। 

उम्मीद करते हैं आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको वास्तु टिप्स से जुड़ी हुई अन्य जानकारी चाहिए तो आप कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सकते हैं।

वास्तु अनुसार पूजाघर कैसा होना चाहिए vastu shastra pooja ghar

पूजा घर के लिए वास्तु टिप्स vastu shastra pooja ghar आजकल वास्तु का प्रचलन हर जगह बढ़ रहा है।

लोग अपने घर को वास्तु के मुताबिक बनाते हैं ताकि उनके घर में सुख शांति आ सके। जिनके घर का वास्तु ठीक नहीं होता। वे लोग भी अपने घर के वास्तु को ठीक रखने के लिए कुछ उपाय अपनाते हैं। जिससे उनके घर में भी शांति रहे।

गाड़ी को चलाने के लिए पेट्रोल चाहिए।

साइकिल को चलाने के लिए उसमें हवा भरा होना चाहिए।

बारिश में बाहर जाने के लिए छाते का प्रयोग करना चाहिए।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दाना पानी जरूरी होता है।

ठीक वैसे ही घर में शांति हो, इसलिए घर के वास्तु का ठीक होना बहुत जरूरी है।

घर के साथ-साथ यदि घर में पूजा रूम भी हो।

तो उस रूम के लिए भी वास्तु का सही होना जरूरी है।

क्यों? जब हम टिप्स बताएंगे तो आप खुद समझ जाइएगा।

पूजा घर कहां स्थापित होना चाहिए?

जिस कमरे में आप सोते हैं। उस कमरे में भूल से भी पूजा घर की स्थापना ना करें।

सीढ़ियों के नीचे, बाथरूम के पास या बेसमेंट में कभी भी पूजा घर नहीं बनाना चाहिए।

इन सब जगह में पूजा स्थल होने से आपकी पूजा का आपको अशुभ फल मिलता है।

त्रि मूर्तियों का त्याग करें

दोस्तों ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि जिस घर में 3 से अधिक मूर्तियां पूजा घर में होती है।

उस घर में क्लेश ज्यादा उत्पन्न होता है। यदि आपके पूजा घर में कोई भी भगवान की मूर्ति या चित्र 2 से अधिक है।

उन मूर्तियों को शीघ्र ही अपने पूजा घर से हटा दें। इसका प्रभाव आपके घर में पड़ेगा।

घर में लड़ाई झगड़े होते रहेंगे। vastu shastra pooja ghar

पूजा घर के लिए कौन सा दिशा सही है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि यदि आप घर में पूजा घर बनाना ही चाहते हैं।

तो उस घर को हमेशा उसके सही दिशा में बनाएं।

पूजा घर का सही स्थान ईशान कोण या फिर उत्तर पूर्व कोण को माना जाता है।

इन दोनों कोण के अतिरिक्त अन्य कोई भी कोण पूजा घर के लिए उपयुक्त नहीं है।

किस ओर मुख करके पूजा करना चाहिए?

यदि आपको मुंबई जाना है तो आप कैसे जाएंगे?

ज़ाहिर सी बात है कि मुंबई जाने वाला कोई प्लेन या ट्रेन ही पकड़ेंगे।

कभी-कभी व्यक्ति को जिस राह में चलना होता है।

वह उस राह से भटक जाता है। इस कारण उसे गलत मंजिल प्राप्त होता है।

हर व्यक्ति ईश्वर की पूजा किसी न किसी कारण से करता है।

यदि आप चाहते हैं कि आपके पास पैसा ही पैसा हो।

हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही पूजा पाठ करने का नियम होता है।

वहीं अगर आप ज्ञान चाहते हैं, ज्ञान की दिशा पूर्व दिशा है।

इसलिए पूर्व की ओर पूजा करें। vastu shastra pooja ghar

यह सभी बातें जितनी जरूरी है‌। इसके अतिरिक्त भी कुछ बातें हैं जो जरूरी है।

घर के अंदर नहीं घर के आंगन में शिवलिंग को स्थापित करें और रोजाना पंडित से पूजा करवाएं।

यदि आप पूजा घर में शिवलिंग रखते हैं। तो वह आपके अंगूठे से भी छोटी होनी चाहिए। हमेशा अपने पूजा घर में पूजा के बाद शंख बजाएं। ताकि आपके घर का वातावरण शुद्ध रहे। सुबह शाम पूजा घर में घी का दीपक या तेल का दीपक जलाएं। साथ ही धूप अगरबत्ती से भगवान की पूजा आराधना अच्छे से करें।

बिजनेस आयडिया Top Business Ideas in India

यदि आप भारत देश में रहते हैं।

तो आप इस बात से भी परिचित होंगे कि भारत में सबसे ज्यादा लोग व्यापारी हैं।

जी हां आप को भारत के हर 10 में से 6 लोग व्यापारी ही मिलेंगे।

जरूरी नहीं कि हर व्यापार करने वाला व्यक्ति अंबानी ही बने।

लेकिन व्यापार करके अच्छा खासा कमाया जा सकता है।

यदि व्यापार आपका खुद का हो तो फिर बात ही अलग होती है।

भारत में सबसे ज्यादा व्यापार किस चीज का होता है?

आइए विस्तार से चर्चा करते है।

किताब की दुकान का व्यापार

किताब का व्यापार करने से व्यक्ति को कभी हानि नहीं होगी।

कारण यह व्यापार कभी भी ना बंद होने वाला व्यापार है।

किताब की जरूरत हर उन लोगों को हमेशा होती है।

जो पढ़ने लिखने में रुचि रखते हैं।

किताब के साथ आप चाहे तो कॉपी भी रख सकते हैं।

इससे आपके दुकान में लोगों की संख्या भी बढ़ेगी और आपका व्यापार का क्षेत्र भी बढ़ेगा।

सबसे जरूरी बात यह है कि यदि आप कम पढ़े लिखे भी हैं।

तो भी आप किताब का व्यापार शुरू कर सकते हैं।

सोलर पैनल का व्यापार कीजिए

भारत में सोलर पैनल का व्यापार बहुत ज्यादा होता है।

इस व्यापार में यदि आपको लोगों से सामान सस्ते दामों में मिल जाए।

तो आपका व्यापार बहुत ही अच्छे तरीके से चल सकता है।

सोलर पैनल बहुत सारे क्षेत्रों में लाभकारी साबित हुए हैं।

किसानों की खेती में सोलर पैनल की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

बड़े-बड़े स्कूल कॉलेजों में सोलर पैनल के द्वारा ही बिजली की व्यवस्था की जाती है।

सोलर पैनल का व्यापार करके एक व्यक्ति महीने में अच्छा इनकम कर सकता है।

ऑटोमोबाइल का व्यापार

ऑटोमोबाइल का व्यापार तब तक है जब तक इस दुनिया में गाड़ियां हैं।

भारत में सबसे ज्यादा ऑटोमोबाइल का व्यापार चलता है।

ऑटोमोबाइल एक ऐसा व्यापार है।

जो गाड़ी से संबंधित होता है।

गाड़ी के सभी पार्टस ऑटोमोबाइल कंपनियां रखती हैं। इससे उन्हें बहुत अधिक लाभ होता है।

मास्क का व्यापार

जब से कोरोनावायरस फैला है।

तबसे हर व्यक्ति सचेत हो चुके हैं।

मुंह में मास्क पहनना और हाथों में सैनिटाइजर का प्रयोग।

एक आदत सा बन गया हैं।

इसलिए आजकल भारत में मास्क का व्यापार भी मार्केट में धीरे-धीरे एक नई जगह ले रहा है।

आजकल तरह-तरह के मास्क बन रहे हैं।

जैसे कि कस्टमाइज मास्क।

प्रदूषण से बचने वाला मास्क।

बहुत सारे कैटेगरी में मास्क बन रहे हैं‌।

इन मास्क की बिक्री भी बढ़ रही है‌।

ट्रैवल एजेंसी का व्यापार

घूमना लगभग सभी को पसंद होता है।

घूमने फिरने में लोगों की मदद करने के लिए ट्रैवल एजेंसी मौजूद है।

जो आपको हमेशा मदद करते हैं।

देश हो या विदेश हर जगह जाने की व्यवसवथा यह एजेंसी वाले कर देते हैं।

भारत में ट्रैवल एजेंसी का व्यापार भी बहुत अच्छे से चलता है।

यदि आप व्यापार करना चाहते हैं।

तो ट्रैवल एजेंसी का व्यापार कर सकते हैं।

होटल या रेस्टोरेंट का व्यापार भी कर सकते हैं

यदि आप भारत में रहकर व्यापार करना चाहते हैं।

साथ ही व्यापार से अधिक लाभ भी कमाना चाहते हैं। तो होटल का व्यापार कर सकते हैं या 1 रेस्टोरेंट खोल सकते हैं।

भारत में व्यापार एवं व्यापारियों की कमी नहीं है।

पूरे विश्व में एक भारत ही है।

जहां सबसे ज्यादा लोग व्यापार करते हैं।

यह 5 काम पितृपक्ष में नहीं करना चाहिए |आखिर क्यों?

हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कई सारे अनुष्ठान करते हैं। इसके लिए हिंदू धर्म में पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए पितृ पक्ष के दौरान तर्पण किया जाता है। श्राद्ध में क्या करें-क्या न करें

ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष का पालन करने से हिंदुओं को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। ताकि वह अपने जीवन में सफल हो सकें। साथ में सुख और समृद्धि भी प्राप्त कर सकें। इसलिए लोग पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण करते हैं।

हिंदू धर्म में कई सारी ऐसी गलतियों के बारे में बताया गया है, जिनमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है। यदि कोई व्यक्ति इन बातों का ध्यान नहीं रखता है तो उसके द्वारा किए जाने वाले किसी भी व्रत का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। शास्त्रों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान हिंदुओं से निम्नलिखित बातों से बचने के लिए कहा जाता है-

पितृपक्ष के दौरान मांसाहारी भोजन ना करें

पितृ पक्ष में हमेशा शाकाहारी भोजन करना चाहिए। यदि आप  पितृ पक्ष के 16 दिनों के चंद्र काल में मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन करते हैं, तो यह दिवंगत आत्मा को परेशान कर सकता है और आपको परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले घर के सदस्य को 16 दिनों की चंद्र अवधि के दौरान अपने बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। उसे भी ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

सूर्यास्त से पहले हघ श्राद्ध की विधि को कर लेना चाहिए। कारण सूर्यास्त के बाद श्राद्ध करना अति अशुभ माना जाता है।

आपके दरबार से कोई भी भूखा नहीं लौटना चाहिए 

पितृ पक्ष में यदि कोई पशु या पक्षी आपके द्वार पर आ जाए तो उसे अवश्य ही भोजन कराएं। ऐसा माना जाता है कि आपके पूर्वज आपसे पशु-पक्षी के रूप में आपसे मिलने आते हैं। हो सके तो इस दौरान गाय-कौवे को भोजन कराएं।

पत्ते के प्लेट का उपयोग करें

पितृ पक्ष में पत्ते पर खाना चाहिए और इस दौरान ब्राह्मणों को पत्ते पर खाना खिलाना ही शुभ माना जाता है।

शुभ कार्य को करने से बचें 

पितृ पक्ष के दौरान विवाह, सगाई जैसे कोई भी शुभ कार्य बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इस दौरान आपको कोई नई चीज खरीदने से भी बचना चाहिए।‌ पितृ पक्ष‌ के‌ दौरान कोई भी वाहन या नया सामान ना खरीदें।

प्राणी का अपमान ना करें।

चप्पल ना पहनें 

हो सके तो पूरे 16 दिनों तक घर में चप्पल ना पहनें।

ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ किसी भी रूप में आपके घर में आते हैं। इसलिए इस पखवाड़े में किसी भी प्राणी का अपमान नहीं करना चाहिए। बल्कि, आपके द्वार पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन दिया जाना चाहिए और सत्कार करना चाहिए।

अनुष्ठान के लिए लोहे के बर्तनों का प्रयोग ना करें। इसके बजाय अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए सोने, चांदी, तांबे या कांसे के बर्तनों का प्रयोग करें।

यह 5 काम पितृपक्ष में नहीं करना चाहिए

जो लोग किसी भी कारण से इन पवित्र तीर्थों पर श्राद्ध कर्म नहीं कर सकते हैं, वे अपने घर के आंगन में किसी भी पवित्र स्थान पर तर्पण और शरीर दान कर सकते हैं।

लेकिन तर्पण और पिंडदान के लिए अपने प्लॉट का ही इस्तेमाल करें। 

पितरों को दूसरे के द्वार या किसी अन्य व्यक्ति के द्वार पर दिया गया दान नहीं मिलता है। काले तिल का विशेष महत्व है।

शाम, रात, भोर या शाम के समय श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए।

Indian Festivals in August 2022 |त्योहारों की सूची अगस्त 2022

त्योहारों की सूची- अगस्त 2022 से लेकर सितंबर 2022 तक  

सीरियल नंबरतारीख त्योहार के नामदिनत्योहार की संक्षिप्त जानकारी 
1.04 अगस्त 2022तुलसीदास जयंतीबुधवार रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती को ही हर साल तुलसी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
2.05 अगस्त 2022दुर्गा अष्टमी व्रतगुरुवार हर महीने में एक दुर्गा अष्टमी का व्रत पड़ता है। इसी तरह से अगस्त महीने के 5 तारीख को दुर्गा अष्टमी व्रत का पालन किया जाएगा 
3.06 अगस्त 2022हिरोशिमा दिवसशुक्रवार हिरोशिमा दिवस हर साल 6 अगस्त को जापान के दो शहरों – हिरोशिमा और नागासाकी – द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बमबारी की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।
4.8 अगस्त 2022 मुहर्रमसोमवारपारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है और इसे अत्यधिक धार्मिक माना जाता है
5.9 अगस्त 2022प्रदोष व्रत भौमा प्रदोष व्रतमंगलवार किसे मंगलवार के दिन यदि प्रदोष व्रत पड़ता है। तो उसे भौमा प्रदोष व्रत कहा जाता है।
6.11 अगस्त 2022पूर्णिमा व्रत गुरुवार इस विशेष दिन पर पूर्णिमा व्रत के साथ रक्षाबंधन तिथि का भी पालन किया जाएगा एवं सत्यनारायण की भी पूजा की जाएगी।
7.14 अगस्त 2022कंजरी तीजरविवार इस दिन पर सभी सुहागन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है।
8.15 अगस्त 2022संकष्टी चतुर्थी,स्वतंत्रता दिवस सोमवारसंकष्टी चतुर्थी भगवान श्री गणेश को समर्पित होता है एवं स्वतंत्रता दिवस को देश की आजादी के दिवस के रूप में मनाया जाता है।
9.16 अगस्त 2022रक्षा पंचमीमंगलवार जो भी व्यक्ति रक्षाबंधन के दिन किसी कारण से राखी नहीं पहन पाते हैं या जो भी बहने अपने भाई को राखी वाले दिन राखी नहीं पहना पाती है। वह बहन रक्षा पंचमी वाले दिन अपने भाई को राखी पहना सकती है।
10.18 अगस्त 2022 श्री कृष्णा जन्माष्टमी गुरुवारश्री कृष्ण भगवान के जन्म दिवस को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
11.20 अगस्त 2022गोगा नवमी, रोहिणी व्रत शनिवार गोगा नवमी भगवान गोगा की पूजा करने के लिए मनाई जाती है। जिन्हें सांपों और नागों पर नियंत्रण रखने में महारत हासिल है।
12.22 अगस्त 2022अजा एकादशीसोमवारइस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्त इस दिन निर्जला व्रत का पालन भी करते हैं।
13.24 अगस्त 2022प्रदोष व्रतबुधवारइस दिन को बुध प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाएगा।
14.25 अगस्त 2022मासिक शिवरात्रिगुरुवारहर महीने में एक शिवरात्रि होती है। उसी तरह से अगस्त महीने में भी मासिक शिवरात्रि का पालन किया जाएगा।
15.27 अगस्त 2022अमावस्या तिथि शनिवारअगस्त महीने में जो अमावस्या पड़ रही है। इस अमावस्या को पिथोरी अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है।
16.28 अगस्त 2022मोहर्रम तिथि की समाप्तिरविवारमुहर्रम की तीथि इस दिन को खत्म होगी।
17.29 अगस्त 2022सोमवारी व्रतसोमवार इस दिन को भगवान शिव की भक्ति की जाएगी।
18.30 अगस्त 2022हरतालिका तीज मंगलवार इस दिन को व्रत रखने वाली महिला सोलह सिंगार करती हैं।
19.31 अगस्त 2022गणेश चतुर्थी बुधवार जो भी व्यक्ति गणेश जी के भक्त होते हैं। वह इस दिन को उपवास रखते हैं।

वट सावित्री 2022 व्रत- इन बातों का रखें ध्यान

हिंदू धर्म में हर एक व्रत, तीज एवं त्योहार का महत्व होता है। ठीक उसी तरह से वट सावित्री की पूजा का भी विशेष महत्व है। 2022 में वट सावित्री की पूजा 30 मई को की जाएगी और इस दिन एक विशेष संयोग बना है। जी, हां दोस्तों सोमावती अमावस्या और शनि जयंती भी इसी दिन ही पड़ा है। इसलिए इस बार की वट सावित्री की पूजा थोड़ी अलग एवं अनोखी होगी।

इस वर्ष विशेष योग बन रहा है

बहुत सारे ज्योतिष आचार्यों का मानना है कि ऐसा संयोग पूरे 30 साल बाद बनता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए इस बार जो भी महिलाएं वट सावित्री की पूजा पूरी श्रद्धा भक्ति से रखेंगी। उन्हें ईश्वर की ओर से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

इतना ही नहीं यदि आप वट सावित्री की पूजा वाले दिन  दाने पुण्य करेंगे। तो आपको भी उसका दोगुना फल मिलेगा। इसलिए वट सावित्री वाले दिन अर्थात सोमवार के दिन अवश्य ही दान पुण्य करें।

वट सावित्री की पूजा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा होती है। इसलिए इस दिन को अच्छे से मानने के लिए बहुत सारी बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है। वह बातें क्या है आइए विस्तार से हम जान लेते हैं। कारण ऐसे बहुत सारे लोग हैं। जो पहली बार वोट सावित्री की पूजा करने जा रहे हैं। हो सकता है कि आपको कोई आईडियाही  नहीं है कि वट सावित्री की पूजा करते कैसे हैं। कारण आप को गाइड करने वाला कोई नहीं है। ऐसे में हम आपको जरूर गाइड करेंगे।

विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती हैं

वट वृक्ष

वट सावित्री की पूजा के लिए आपको बहुत सारी चीजों की आवश्यकता होगी। पहली बात तो यह है कि यह व्रत बिना वट वृक्ष के तो पूरा ही नहीं होगा। इसलिए अपने घर के आस-पास वट वृक्ष को अवश्य ढूंढे क्योंकि आपको पूजा के दौरान वट वृक्ष की परिक्रमा भी करनी होगी।

भीगा हुआ काला चना

भीगे हुए काले चने का वट सावित्री की पूजा में बहुत ही ज्यादा महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जब यमराज ने सावित्री के सभी वरदान को स्वीकार कर लिया था। तो सावित्री उनकी ओर एकटक देख रही थी। तब यमराज ने पूछा कि तुम्हारी सभी वरदान को मैंने स्वीकार कर लिया है। अब तुम मुझसे क्या चाहती हो तब सावित्री ने यमराज को एहसास दिलाया कि उन्होंने जो वरदान पूरा किया है। वह उसके पति सत्यवान के बिना तो पूरा ही नहीं होगा। 

फिर यमराज को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने एक काले चने के रूप में सत्यवान की आत्मा को सावित्री के हाथों में सौंपा था और कहा था कि इस चने  को अपने मुंह से अपने पति के मुंह में फूंक देना। तभी तुम्हारे पति के आत्मा फिर से जीवित हो जाएगी।

इसलिए वट सावित्री की पूजा में काला भीगा हुआ चना पूजा सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि यह चना व्रत करने वाली महिलाएं नहीं खाती हैं क्योंकि यहां पर चने को आत्मा के रूप में स्वीकार किया जाता है।

कलावा

बाजार में आपको कलावा मिल जाएगा। यदि आपको कलावा नहीं मिलता है। तो आप किसी भी सफेद धागे को हल्दी में या लाल रंग में भिगोकर भी उस धागे को या सुता को कलावा के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं।

मौसमी फल का प्रयोग किजिए

वट सावित्री की पूजा वाले दिन आप उन फलों का जरूर प्रयोग करें। जो मौसमी फल है जैसे कि आम लीची, केला, मौसंबी इत्यादि।

पहली बार व्रत करने वाली महिलाओं को गुड्डा-गुड्डी का जोड़ा भी रखना होगा।

इन सभी चीजों के अतिरिक्त आपको पूजा सामग्री के रूप में अक्षत, अगरबत्ती, लाल फूल या फिर पीला फूल केले का पत्ता, मिट्टी का घड़ा, घी का दिया, तांबे का लोटा जिसमें गंगाजल होना चाहिए, साथ में सिंदूर, रोली एवं मिठाई भी होना चाहिए।

सबसे ज़रूरी चीज़ सावित्री और सत्यवान की तस्वीर ज़रूर रखें। कारण आपको इनकी तस्वीर के सामने ही पूजा करनी है।

वट सावित्री की पूजा करनी कैसी है?

यदि आप वट सबित्री का पूजा करने वाली हैं। तो आपको उस दिन सुबह जल्दी-जल्दी उठ कर नहा लेना है। उसके बाद आपको नया कपड़ा पहना है और सुहागन वाला सोलह सिंगार करके बिल्कुल अच्छे से तैयार हो जाना है।

इसके बाद पूजा में प्रयोग होने वाले सभी सामग्री को किसी स्वच्छ थाली में सजाकर आपको वटवृक्ष के पास लेकर चले जाना है।

यदि आप पहली बार वट सावित्री की पूजा करने वाली हैं। तो आपको कपड़ों का बना हुआ दूल्हा दुल्हन का जोड़ा पूजा के दौरान अपने सामने रखना होगा। यदि आपको कपड़े का बना हुआ गुड्डा गुड्डी नहीं मिला है। तो आप मिट्टी से भी बना दूल्हा दुल्हन का भी प्रयोग पूजा के दौरान कर सकती हैं।

पूजा की विधि प्रारंभ करने के लिए सबसे पहले अपने सामने सावित्री एवं सत्यवान की तस्वीर को रखिए। तस्वीर के सामने आपके पास पूजा की जितनी भी सामग्री है। जैसे कि चावल, कलावा, भीगा हुआ चना, रोली, सुपारी, पान, मिठाई इत्यादि जो भी चीज है। उन सभी चीजों को उनके तस्वीर के सामने रख दीजिए।

फिर जो पंखा है, उससे उन सभी चीजों पर हवा कीजिए। फिर आपको वट वृक्ष की परिक्रमा करनी है। परिक्रमा करने के लिए आपको कच्चा धागा लेकर वट वृक्ष के पास सात बार परिक्रमा करनी है। परिक्रमा को पूरी करने के बाद वट सावित्री की कथा को सुनिए। कथा जब सुन लेंगी तो उसके बाद अपने पति की लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना कीजिए और जो भीगा हुआ चने का प्रसाद है। उसे आप खुद ना खाकर किसी ऐसे व्यक्ति को खिलाइए जो कि भूखा हो इससे आपको आशीर्वाद प्राप्त होगा।

इस तरह से वट सावित्री की पूजा पूरी होती है। आप उस दिन कोई भी फल खा सकती है। खासकर मौसमी फल।

वट सावित्री शुभ मुहूर्त पूजा विधि (Vat Savitri Puja Vidhi)

हमारे भारत देश में विवाहित महिलाओं से जुड़े कई व्रत और अनुष्ठान है। जो विशेष रूप से महिलाओं के पति के स्वास्थ्य और सफलता संबंधित होता है। इन्हीं सभी व्रतों में से एक है वट सावित्री की पूजा। भारत के लगभग हर हिस्से में विवाहित महिलाएं वट सावित्री पूजा को बहुत उत्साह और भक्ति के साथ मनाती हैं।

पूर्णिमां के कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या को यह त्योहार मनाया जाता है, जो शनि जयंती के साथ भी आता है। 

चूंकि भारत के दक्षिणी भाग में अमांता कैलेंडर का पालन किया जाता है। जहां पर महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में विवाहित महिलाएं ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत का पालन करती हैं, यानी उत्तर भारत की तुलना में 15 दिन बाद।

महिलाओं को क्या करना होता है?

महिलाएं सुबह जल्दी उठती हैं, स्नान करती हैं और सभी आभूषणों के साथ पारंपरिक पोशाक पहनती हैं। वे अपने पति के स्वास्थ्य और भलाई के लिए उपवास रखती हैं। साथ ही दोपहर में अपने पति और परिवार के बुजुर्ग सदस्यों के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद भी लेती हैं।

इस दिन, सावित्री, जिसे एक देवी का अवतार माना जाता है।  वट या बरगद के पेड़ों की पूजा की जाती है। तब क्षेत्र की सभी महिलाएं बरगद या वट के पेड़ के साथ एक मंदिर में एकत्रित होती हैं। महिलाएं परंपरा के अनुसार पेड़ पर पवित्र गंगा जल छिड़कती हैं और उसके चारों ओर लाल धागे को 108 बार लपेटकर अपने सुहागकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।

2022 साल में कब होगी वट सावित्री की पूजा

इस वर्ष वट सावित्री का व्रत 30 मई 2022, सोमवार को मनाया जाएगा। विष्णु पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, इस दिन मां सावित्री ने अपनी कठोर तपस्या से अपने पति सत्यवान का जीवन यमराज से वापस जीता था।

30 May 2022अमावस्या तिथि शुरू – 29 मई 2022 को दोपहर 02:55 बजे से
अमावस्या तिथि का अंत: 30 मई 2022 शाम 05 बजे तक

शुक्र प्रदोष व्रत 2022 महत्व

शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उनके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

भक्तों का मानना ​​है कि प्रदोष व्रत का व्रत करने से उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

वट सावित्री 2022

जैसा कि हम सनातन धर्म में विशेष महत्व रखने वाले इस शुभ उपवास उत्सव का पालन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और बरगद के पेड़ की परिक्रमा करने से आपके सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना पूरी होती है। 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वट वृक्ष की शाखाओं और लट्ठों को सावित्री माता का रूप माना गया है। यह प्रकृति का एकमात्र वृक्ष है जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश निवास करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में इस व्रत की तुलना करवा चौथ के व्रत से की गई है।

कैसे करें पूजा

सोमवती अमावस्या के दिन यदि संभव हो तो सुबह पवित्र नदी में स्नान करें या स्नान की बाल्टी में थोड़ा गंगा जल मिलाकर घर पर स्नान करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें और बाद में ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, जल, फल, सब्जी आदि का दान करें। सोमवती अमावस्या पर शिव और माता पार्वती की पूजा करने से लाभ होगा।

दिन के शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करें और वट सावित्री व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।

वट सावित्री की पूजा सामग्री

बरगद का पेड़, वट वृक्ष, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किंवदंतियों से संकेत मिलता है कि सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे ही बैठकर घोर तपस्या की थी। इसलिए उपवास का नाम वट सावित्री है। इसदिन महिलाएं वट वृक्ष को श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं और उसके नीचे बैठकर वट सावित्री व्रत कथा सुनती हैं, जिसके बिना अनुष्ठान अधूरा रहता है।

कौन से दिशा में जूते चप्पल रखने से घर में पैसा आता है?

जूता-चपप्ल कैसे रखना चाहिए?

वास्तु की प्राचीन ज्योतिषीय शाखा के अनुसार, मुख्य द्वार वह स्थान है जिससे घर सांस लेता है और इसलिए इस क्षेत्र के पास गंदगी के साथ जूते रखना एक बुरी प्रवृत्ति है और इससे प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

वास्तु कहता है कि जूते को मुख्य दरवाजे से कुछ दूरी पर एक रैक पर रखना चाहिए। जूते-चप्पल घर की ओर ठीक से रखने चाहिए।

क्या घर के अंदर जूता-चप्पल रखना चाहिए?

घर के अंदर जूते पहनने की भी सिफारिश नहीं की जाती है। कुछ लोग महंगे जूते और अन्य जूते अपने घर के अंदर रखते हैं। इन्हें सीढ़ी के नीचे, खाट के नीचे या शयन कक्ष में कहीं भी रखना उचित नहीं है। दूसरे शब्दों में यदि कहां जाएं तो जूते नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। इसलिए जहां-तहां जूते ना रखें।

किस दिशा में रखे चप्पल स्टैंड नहीं रहेगी कभी कोई कमी

जूतों को उसके रैक में रखें। जूते रखने के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा शुभ मानी जाती है। इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जूता कैबिनेट की ऊंचाई फर्श से छत तक की ऊंचाई के एक तिहाई से अधिक ना हो। जूतों को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऊंची अलमारियां परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में बाधा डाल सकती हैं। इसलिए घर में कभी भी जूतों का रैक बड़ा ना रखें। प्रवेश द्वार में भी जूता रैक ना लगाएं क्योंकि मेन डोर समृद्धि और अच्छे वाइब्स का द्वार होता है।

जूता-चप्पल उल्टा रखने से बचें

ऐसा कहा जाता है कि जूता-चप्पल का संबंध शनि भगवान से होता है। इसलिए पैसों से संबंधित किसी भी वस्तु का ख्याल बहुत ध्यान से रखना चाहिए। चाहे वह मोजा हो या जूता चप्पल। हमेशा उन्हें उनके उचित स्थान पर सजा कर रखना चाहिए। ताकि शनि भगवान कभी भी आपसे रूष्ठ ना हो सकें।

यह भी कहा जाता है कि घर में कभी भी जूता चप्पल को उल्टा करके नहीं रखना चाहिए। यदि किसी भी घर में जूता चप्पल उल्टा या बिखरा पड़ा रहता है। तो उस घर के लोगों से शनि भगवान बिल्कुल नाराज हो जाते हैं। शनि भगवान के नाराज होने का फल तो लगभग सभी लोग जानते ही हैं कि वह क्या-क्या कर सकते हैं।

क्या घर के बाहर जूता रख सकते हैं? Vastu Tips: घर में जूते-चप्पल रखने का सलीका

घर के बाहर आपजूता रख सकते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि घर के बाहर जूता रखने पर भी वह बिखर जाता है। जिससे घर पर नेगेटिव ऊर्जा फैलती है इसलिए जूते चप्पल को बाहर रखने के बजाय घर के किसी कोने में अच्छे से सजा कर रखें। ताकि आपके घर में किसी की भी नजर ना लगे एवं आपके घर में बरकत होती रहे।

कौन से दिशा में जूते चप्पल रखने से घर में पैसा आता है?

घर का पश्चिम दिशा जूता चप्पल रखने के लिए सबसे बेस्ट जगह होता है। सबसे जरूरी बात यह है कि यदि आप अपने घर में जूते चप्पल को रखना चाहते हैं। तो अवश्य ही रखे लेकिन बहुत ज्यादा पुराना जूता चप्पल बिल्कुल भी ना रखें। इससे नेगेटिव ऊर्जा फैलती है। घर के बरकत में भी बांधा आती है।

गलत जूते दुर्भाग्य लाते हैं

 हमारे प्राचीन विद्वानों ने हमें सलाह दी कि हमारे पास जो भी जूते हैं, उन्हें हमें नहीं करना चाहिए, और यह भी कि हमें कहां, कब, कैसे जूते पहनने चाहिए या फिर खोने की संभावना का जोखिम उठाना चाहिए।

सुनिश्चित करें कि जूते को फिर से अंदर रखने से पहले उन्हें हमेशा साफ रखा जाता है और किसी भी गंदगी को मिटा दिया जाता है। शू रैक को हमेशा व्यवस्थित रखें। निरंतर आधार पर थोड़ा सा प्रयास लंबे समय में नकारात्मकता को दूर रखने में मदद कर सकता है।

बेडरूम, किचन या प्रार्थना कक्ष में जूता कैबिनेट नहीं रखना चाहिए। बेडरूम में जूता रखने से आपके वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 

घर के जूतों से अस्त-व्यस्त करना, विशेष रूप से मुख्य द्वार के पास, पारिवारिक कलह का कारण बन सकता है। जूतों को ठीक से व्यवस्थित करें और उन्हें कभी भी लटकी हुई या उलझी हुई अवस्था में न छोड़ें जो नकारात्मक ऊर्जाओं को आकर्षित करती हैं

बंद जूता अलमारियाँ, जो नकारात्मकता को फैलने नहीं देती हैं, उन्हें खुले जूते की अलमारियों के लिए अनुशंसित किया जाता है।

प्रवेश द्वार के हिसाब से जूता रैक‌ रखे

घर के इंटीरियर की प्लानिंग करते समय शू रैक के लिए उचित जगह का होना जरूरी है। शू रैक को उत्तर से पूर्व को छोड़कर किसी भी स्थान पर रखा जा सकता है। इस रैक को पश्चिम / उत्तर पश्चिम में रखने के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

यदि घर का प्रवेश द्वार उत्तर पूर्व से हो तो जूते की रैक को उत्तर पश्चिम में रखना व्यावहारिक नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में और कोई विकल्प नहीं है और रैक को प्रवेश द्वार के पास लेकिन उत्तर पश्चिम दिशा में रखा जाना है। यदि प्रवेश द्वार के पास उत्तर पूर्व में एक शोकेस की योजना बनाई गई है, तो जूता रैक उसी में रखा जा सकता है।

यदि घर का प्रवेश द्वार उत्तर पूर्व में है, तो उत्तर पूर्व दिशा में भगवान के निवास की योजना बनाना आवश्यक है। वहीं प्रवेश द्वार के पास जूता रैक भी लगाना होता है। ऐसी परिस्थितियों में, दोनों के बीच एक उपयुक्त अंतर बनाए रखते हुए प्रार्थना मंदिर की पवित्रता को बनाए रखना आवश्यक है।

नमक को कब नहीं खरीदना चाहिए?

नमक को कब नहीं खरीदना चाहिए?

हमारे रोजमर्रा के जीवन में प्रयुक्त होने वाले सामान का जुड़ाव हम सब के साथ होता है। जैसे- नमक, पानी, तेल, साबुन आदि। इन सबको कब खरीदना चाहिए और कब नहीं इस बात पर हर व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए। आइए आज जानते हैं कि नमक को कब खरीदना चाहिए एवं क्यों खरीदना चाहिए।

नमक कितने प्रकार के होते हैं?

नमक कई प्रकार के होते हैं-

सेंधा नमक, काला नमक और साधारण नमक जिसका मूल रूप से प्रयोग खाना बनाते वक्त किया जाता है। 

नमक को कौन से पात्र में रखना शुभ माना जाता है?

नमक को कभी भी प्लास्टिक या स्टील के पात्र में नहीं रखना चाहिए। प्लास्टिक के पात्र में नमक रखने से उस नमक को खाने के बाद शारीरिक रोग होता है। इसलिए कभी भी प्लास्टिक पात्र में रखे नमक को नहीं खाना चाहिए। वही दूसरी ओर स्टील के पात्र में नमक रखने से भी बहुत प्रकार की क्षति होती है। स्टील के पात्र में नमक रखने से चंद्रमा और शनि मिल जाते हैं। जिसका असर बहुत गहरा होता है। कांच के बर्तन में नमक को रखना ज्यादा शुभ माना जाता है।

क्या रात में नमक खरीदना चाहिए?

दिन में आप नमक खरीद सकते हैं। लेकिन रात में कभी भी नमक नहीं खरीदना चाहिए। ज्योतिष लोगों का कहना है कि नमक में कुछ ऊर्जा होती है। जो मनुष्य को प्रभावित करती है‌। जिससे मनुष्यों के ऊपर नकारात्मक उर्जा का प्रभाव पड़ता है।

आर्थिक परिस्थिति में भी सुधार लाता है, नमक

घर की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए भी नमक का प्रयोग किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार एक गिलास में पानी और नमक मिलाकर घर के कोने में रख दें। इसके पीछे लाल रंग का बल्ब भी लगाएं। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि जब भी पानी सूखने लगे तो गिलास को साफ करके उसमें फिर से नमक भर दें। ऐसा करने से घर में हमेशा धन का आगमन होता रहता है।

नमक रिश्तों को मजबूत करता है

अगर आपके परिवार के सदस्यों के बीच विवाद है या आपके रिश्तेदार और दोस्त आपसे खुश नहीं रहते हैं, तो चीजों को उल्टा करने के लिए नमक के इस उपाय का प्रयोग करें। अपने मुख्य द्वार के बायीं और दायीं ओर किसी बर्तन में नमक रखें। आप इसे अपने हिसाब से कलर या डेकोरेट भी कर सकते हैं। यह जादुई रूप से आपके लिए काम कर सकता है। यह आपके मेहमान के दिल में आपके लिए प्यार की भावना को जगाता है और उनके साथ आपके संबंधों को मजबूत करता है।

नमक स्वास्थ्य में सुधार भी करता है

अगर आपके घर में कोई व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित है या डिप्रेशन का शिकार है तो उसे एक कटोरी में रख कर अपने पास रख लें। यह नकारात्मक ऊर्जा की जगह लेगा और एक सकारात्मक युग का निर्माण करेगा।

शुक्रवार को नमक खरीदें

ऐसा कहां जाता है कि नमक समुद्र के पानी से प्राप्त होता है। चूंकि देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं, इसलिए ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार को नमक खरीदना देवी लक्ष्मी को घर में आमंत्रित करने के बराबर होता है। चंद्रमा और‌ शुक्र का कनेक्शन भी नमक के साथ गहरा होता है।

नमक को लेकर रखें ये सावधानियां

नमक ना केवल सब्जी को स्वादिष्ट बनाता है। बल्कि हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा करता है। इसलिए नमक को शुक्रवार को खरीदें ताकि माता लक्ष्मी का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे। कभी भी आर्थिक स्थिति खराब ना हो इसलिए नमक का पोंछा घर में जरूर करें।

चुंबक की तरह पैसा खींचता है ये पौधा, तुरंत ले आएं अपने घर

कौन सा पेड़ लगाने से पैसा आता है?

पंच तत्व जैसे- हवा, वायु, अग्नि, आकाश और माटी का बहुत महत्व होता है। ठीक उसी तरह से प्राकृतिक चीजों का भी महत्व होता है। उन्हीं में से एक होते हैं पेड़-पौधे। कहा जाता है कि इस दुनिया में कुछ ऐसे पेड़ है जो पैसों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि आप भी पैसों को आकर्षित करना‌ चाहते हैं। तो आज ही इन‌ पौधों‌ को लगाइए जो पैसों को आकर्षित करते हैं।

अशोक पेड़

अशोक के पेड़ को बहुत ज्यादा ही लकी माना जाता है। यह पेड़ घर में सुख एवं शांति का कारक होता है। इस पेड़ को लगाने से लोगों की बहुत सारी समस्या दूर हो जाती है।

यहां तक की अशोक का पेड़ घर के नकारात्मक ऊर्जा को भी खत्म कर देता है। इस तरह से घर के सारे दुःख दूर हो जाते हैं। बस, इस पेड़ को लगाते वक्‍त इस बात का ख्‍याल जरूर रखें कि इसकी ऊंचाई ना तो आपके घर से ज्‍यादा होनी चाहिए और आ ही पेड़ की छाया आपके घर पर ही पड़ना चाहिए।

वहीं यदि आप अपने कारोबार में तेजी से तरक्‍की करना चाहते हैं। तो अशोक के पेड़ को एक साफ़ लाल कपड़े में बांधकर रखें।

सौभाग्य का पौधा होता है, तुलसी

वास्तु शास्त्र के अनुसार, सबसे शक्तिशाली, पवित्र और शुभ सौभाग्य का पौधा जो घर में सकारात्मकता को बढ़ाता है, वह है तुलसी का पौधा।

जिसका औषधीय महत्व भी होता है। साथ ही यह घर के वातावरण को शुद्ध भी करती है। तुलसी को घर के आगे या पीछे, बालकनी या खिड़कियों में, जहां भी इसे नियमित रूप से रखा जाता है। उस घर में धन वर्षा बहुत होती है। इसलिए घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। घर के चारों ओर तुलसी लगाना अच्छा फल‌ देगा।

जेड पौधा 

यह पेड़ थोड़ा गोल होता है। इसके छोटे गोल पत्ते के कारण जेड का पौधा एक भाग्यशाली पौधा माना जाता है। फेंगशुई के अनुसार, जेड पौधे को एक सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, घर के लिए इस सौभाग्य के पौधे को रखा जा सकता है। जेड विकास और पुनर्जनन का प्रतीक है और घर के लिए भाग्यशाली पौधे की पत्तियों का आकार जेड पत्थरों से मिलता जुलता है। जेड प्लांट को बाथरूम में या उसके आसपास रखने से बचें।

लकी बैंबू

साउथ-ईस्ट एशिया से आया लकी बैंबू पेड़ का फेंगशुई और वास्तु दोनों ही जगहों काफी महत्व है। यह पौधा अच्छे भाग्य और स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। अगर कोई व्यक्ति लकी बैंबू को घर में रखता है। तो उसके घर की दशा और दिशा बदल जाती है।

वैसे तो लकी बैंबू प्लांट के पौधे की डंठल की संख्या का बड़ा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, वैभव के लिए लकी बैंबू में 5 डंठल होनी चाहिए। अच्छे भाग्य के लिए 6, स्वास्थ्य के लिए 7 और 21 डंठल स्वास्थ्य और अच्छे वैभव के लिए होता है। बैंबू प्लांट हवा को भी परिष्कृत करता है और वातावरण को प्रदूषण से भी बचाथा। इस पेड़ को घर के पूर्वी कोने में रखना है।

लकी बैम्बू पांच प्रमुख फेंग शुई तत्वों- अग्नि, पृथ्वी, लकड़ी, जल और धातु के भीतर सामंजस्य लाता है। जिससे सकारात्मक जीवन के अनुभवों को आश्रय और पोषण मिलता है। 

पौधे की व्यवस्था शांति, भाग्य, स्वास्थ्य, प्रेम और भाग्य को भी आकर्षित करती है। परिवार या दक्षिण-पूर्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पौधे को पूर्व में रखना जरूरी है जो धन का केंद्र है। निश्चित रूप से, इसका मुख्य आकर्षण यह है कि यह बहुत कम रखरखाव वाला है, जो इसे उन लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प होता है जिनके घर में जगह कम होती है।

मनी प्लांट

मनी प्लांट को घर में रखना अच्छा माना जाता है। घर में धन और सौभाग्य लाने के लिए भी मनी प्लांट जाना जाता है और वित्तीय बाधाओं को दूर करने में भी यह मदद करता है। मनी प्लांट प्राकृतिक वायु शोधक के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि वे हवा से विषाक्त पदार्थों को छान कर स्वच्छ फिल्टर्ड वायु देते हैं। इन गुड लक वाले पौधों को बहुत कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। ऐसा कहा जाता है कि मनी प्लांट को घर में रखने से व्यक्तिगत और कार्यलयी दोनों ही क्षेत्रों में सफलता को हासिल करने में बहुत मदद मिलती है।

एरेका पाम का पौधा

फेंगशुई के अनुसार एरेका पाम के पौधे स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि की ओर ले जाते हैं। घर के लिए ये भाग्यशाली पौधे नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करते हैं और सकारात्मकता को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस पत्तेदार पौधे को घर में कहीं भी उगाया जा सकता है। घर के लिए गुड लक पौधों में हवा से सामान्य प्रदूषकों को हटाने की क्षमता एरेका में होती है और यह आर्द्रता में भी सुधार करता है।

रबड़ का पौधा

रबर के पौधे घर के लिए भाग्यशाली पौधे होते हैं और रबड़ फेंग शुई में धन और भाग्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, क्योंकि इसके गोल पत्ते सिक्कों से मिलते जुलते हैं। माना जाता है कि जब घर में इस पेड़ को रखा जाता है, तो ये सौभाग्य के पौधे बन जाती हैं। यह मनी को बढ़ाने में मदद करता है।

मकई का पौधा

मकई के पौधे को फॉर्च्यून प्लांट के रूप में आमतौर पर जाना जाता है। इनको सौभाग्य के लिए जाने-माने इनडोर प्लांट के रूप में भी जाना जाता हैं। कुछ एशियाई देशों में मकई के पौधे को भाग्य का प्रतीक भी कहा जाता है। 

अगर घर में यह पौधा खिलता है, तो इसका मतलब है कि व्यक्ति को धन और भाग्य की प्राप्ति होगी। मकई के पौधे हवा को शुद्ध करते हैं क्योंकि वे हवा से विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं। मकई के पौधे उज्ज्वल लेकिन अप्रत्यक्ष प्रकाश में पनपते हैं।

सांप का पौधा

सांप के पौधे को जब एक आदर्श स्थिति में रखा जाता है तो उसे सौभाग्य का पौधा माना जाता है क्योंकि यह हवा से जहरीली गैसों को अवशोषित करता है। यह विषाक्त पदार्थों को खत्म करता है। साथ में यह पैसों को भी आकर्षित करता है। चुंबक की तरह पैसा खींचता है ये पौधा, तुरंत ले आएं अपने घर